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Bombay HC का बड़ा फैसला, श्रमिकों को मजदूरी नहीं देना उनके जीवन के अधिकार का उल्लंघन

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Bombay HC का बड़ा फैसला, श्रमिकों को मजदूरी नहीं देना उनके जीवन के अधिकार का उल्लंघन

बॉम्‍बे हाई कोर्ट (Bombay HC) ने एक अहम फैसले में कहा कि श्रमिकों को मजदूरी नहीं देना, संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उनके जीवन के अधिकार का उल्लंघन है. जस्टिस उज्ज्वल भुयान और एनआर बोरकर की पीठ ने रायगढ़ के स्टील फैक्ट्री में काम करने वाले करीब 150 मजदूरों की याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि, बॉम्‍बे हाई कोर्ट (Bombay HC) ने कंपनी को लॉकडाउन के दौरान श्रमिकों की रोकी गई मजदूरी देने का आदेश दिया है.

कोरोना महामारी को देखते हुए मजदूरों ने अदालत से कंपनी द्वारा उन्हें सुरक्षा देने की मांग की थी. श्रमिकों की और से वकील ने कहा कि कंपनी ने मार्च, अप्रैल और मई में मजदूरों को आधे से भी कम मजदूरी दिया है. इसके अलावा कंपनी ने दिसंबर, जनवरी और फरवरी में भी श्रमिकों के मजदूरी का भुगतान नहीं किया था. लॉकडाउन के बाद मार्च से कंपनी ने मजदूरों को काम पर आने से मना कर दिया गया था.

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