हाल ही में मानव संसाधन विकास (HRD) का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया था. 29 जुलाई को दिल्ली में पीएम नरेंद्र मोदी के साथ कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया था. अब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी इस बदलाव के लिए मंजूरी दे दी है. यह वर्ष 1986 की शिक्षा नीति की जगह लेगा. अब इस मंजूरी के बाद पूरे उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिए एक ही रेगुलेटरी बॉडी होगी, जिससे शिक्षा क्षेत्र में अव्यवस्था खत्म हो जाएगी.
सोमवार की रात कहा गया कि राष्ट्रपति ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया है.
मानव संसाधन विकास मंत्रालय का प्रमुख मंत्रालय शिक्षा मंत्रालय के स्थान पर है.
आपको बता दें कि नई शिक्षा नीति की रूपरेखा पिछले 5 सालों से बनाई जा रही थी. अब इसरो के पूर्व प्रमुख के. कस्तूरीरंगन ने नई शिक्षा नीति को अंतिम रूप दिया है. हालांकि, नई शिक्षा नीति में गैर हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी अनिवार्य होगा ऐसा उल्लेख नहीं है.
President Ram Nath Kovind notifies Union Cabinet's decision to rename Ministry of Human Resource Development (HRD) as Ministry of Education. pic.twitter.com/EL5hhteZ3r
— ANI (@ANI) August 17, 2020
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नाम परिवर्तन को मंजूरी दी गई थी उसी दिन केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को मंजूरी दी गई थी. नीति में ही परिवर्तन प्रस्तावित किया गया था. कुछ दिनों बाद, 4 अगस्त को, मानव संसाधन विकास मंत्रालय की वेबसाइट के साथ-साथ शिक्षा मंत्री, रमेश पोखरियाल, निशंक के सोशल मीडिया पेजों पर नाम बदल दिया गया.
तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यकाल के दौरान 1985 में शिक्षा मंत्रालय का नाम बदलकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय कर दिया गया था. एनईपी (NEP) को अगले साल पेश किया गया था और बाद में इसे 1992 में संशोधित किया गया था.
पी. वी. नरसिम्हा राव राजीव गांधी कैबिनेट में पहले मानव संसाधन विकास मंत्री बने.
इसरो के पूर्व अध्यक्ष के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में एक पैनल ने नए एनईपी पर काम करने का प्रस्ताव दिया था और कहा कि मंत्रालय का नाम फिर से बदल दिया जाए.