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पति के पैसे का हक़दार केवल पहेली पत्नी, दूसरी नहीं : बॉम्बे हाईकोर्ट

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पति के पैसे का हक़दार केवल पहेली पत्नी, दूसरी नहीं : बॉम्बे हाईकोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट ने 25 अगस्त को कहा कि, अगर एक आदमी की दो पत्नियां हैं, तो केवल पहली पत्नी पैसे का हक़दार होगी, लेकिन दोनों पत्नियों के बच्चों को पैसे मिलेंगे.

जस्टिस कथावाला की अगुवाई वाली पीठ महाराष्ट्र रेलवे पुलिस बल में सहायक उप-निरीक्षक सुरेश हतनकर की दूसरी पत्नी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिनकी 30 मई को कोरोना से मौत हो गई थी.

क्योंकि राज्य सरकार के प्रस्ताव में कोविद ​​-19 की मौत होने वाले पुलिस कर्मियों को 65 लाख रुपये का मुआवजा देने का वादा किया गया है, जबकि दो महिलाएं, जो हतंकर की पत्नियां होने का दावा कर रही थीं, दोनों ने मुआवजे की रकम का दावा किया था.

बाद में, हतनकर की दूसरी पत्नी की बेटी श्रद्धा ने आपने माँ के साथ बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसमें मांग की गई कि उसे और उसकी माँ को “भुखमरी” और बेघर होने से बचाने के लिए मुआवजे की रकम का समानुपातिक हिस्सा दिया जाए.

मंगलवार को, राज्य की वकील ज्योति चव्हाण ने पीठ को बताया कि राज्य उस समय के लिए अदालत में मुआवजे की राशि जमा करेगा, जब यह तय हो जाएगा कि राशि का हकदार कौन है.

चव्हाण ने अदालत से तब कहा, “कानून कहता है कि दूसरी पत्नी को कुछ भी नहीं मिल सकता है. लेकिन दूसरी पत्नी की बेटी, और पहली पत्नी और उनकी बेटी पैसे के हकदार होंगे.”

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हतनकर की पहली पत्नी शुभदा और शुभदा की बेटी सुरभि ने दावा किया कि उन्हें नहीं पता था कि हतनकर का “एक और परिवार” था.

हालांकि, दूसरी पत्नी श्रद्धा के वकील प्रेरक शर्मा ने अदालत को बताया कि उनकी पहेली पत्नी और शुभदा को हतनकर की दो शादियों के बारे में पता था और उन्होंने पिछले दिनों फेसबुक पर सुरभि से संपर्क किया था.

दूसरी पत्नी के वकील ने कहा कि हतनकर अपनी दूसरी पत्नी और उनकी बेटी के साथ धारवी में रेलवे पुलिस क्वार्टर में रह रहे थे.

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