Women’s Day : आज महिला दिवस है तमाम उन महिलाओं की आज बात की जायेगी जो समाज के लिए एक प्रेरणा बनकर उभरी है ऐसे में मुंबई की हर धड़कन तक पहुंचने वाला न्यूज़ चैनल मैट्रो मुंबई की उन बेटियों की बात न करें तो बेईमानी सी होगी जो आपके बीच घटित हो रही घटनाओं को संकलित करके तथ्यपरक सटीक निष्पक्ष और निर्भीकता के साथ आप तक पहुंचाने का कार्य करती है। इस संदर्भ में यह कहना भी कदापि अनुचित नहीं होगा कि “मेट्रो मुंबई” एक ऐसा न्यूज़ चैनल है, जो न सिर्फ समाचार प्रसारित करता है, बल्कि महिला सशक्तिकरण का भी एक बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत करता है। यहां की महिला स्टाफ न सिर्फ खबरों की तह तक जाती हैं, बल्कि पूरे मीडिया वर्कफ्लो को बेहतरीन ढंग से संभालती हैं और जो दिन-रात मेहनत कर पत्रकारिता को एक नई दिशा दे रही हैं।
बात चाहे ग्राउंड रिपर्टिंग की हो या फिर स्टूडियो से बतौर एंकर सरल भाषा में समाचार आप तक पहुंचाने की, बात चाहे संकलित तथ्यों से सटीक और सही समाचार निर्माण की हो या फिर न्यूज पैकेज बनाने की। बात सोशल मीडिया मैनजमैंट की हो या फिर पब्लिक रिलेशन की। मेट्रो मुंबई की बेटियां हर मोर्चे पर मजबूती से खड़ी हैं। चैनल के चीफ एडिटर इंद्रपाल चतुर्वेदी के सानिध्य में उनकी प्रतिबद्धता और मेहनत से चैनल को नई ऊंचाइयां मिल रही हैं। खास बात तो यह है कि यंहा न सिर्फ बेटियों को प्लेटफार्म मिल रहा, बल्कि उन्हें नेतृत्व करने का अवसर भी मिल रहा है। मीडिया क्षेत्र को खतरों और चुनौतियों के नजरिये से भी देखा जाता है लेकिन मुंबई मैट्रो की बेटियां गीता यादव, निशा ठाकुर, शिवानी चतुर्वेदी, अर्चना यादव, कल्पना पंडित आदि ये वो नाम है जो मीडिया जगत के नवनक्षत्र है और समाज के लिए प्रेरणा है और उनका साहस और जज्बा यह कहता नजर आता कि खुद को कर बुंलद इतना कि खुदा भी पूछे बंदे से बोल तेरी रजा क्या है ?
इसके साथ ही मेट्रो मुंबई चैनल ने यह साबित किया है कि महिलाएँ किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं। यह मीडिया इंडस्ट्री के लिए एक प्रेरणादायक पहल है, जिससे अन्य संस्थानों को भी सीख लेनी चाहिए और पत्रकारिता के क्षेत्र में बेटियों को भी उड़ान भरने का मौका देना चाहिए। मेट्रो मुंबई की ये पत्रकार बेटियां सिर्फ खबरें नहीं बनातीं, बल्कि वो दूसरी महिलाओं/बेटियों के लिए प्रेरणा भी बन रही हैं। उनका सफर बताता है कि अगर इरादा मजबूत हो, तो कोई भी क्षेत्र बेटियों की क्षमता से अछूता नहीं रह सकता।
Read Also : महिला दिवस: आत्मरक्षा प्रशिक्षण को पाठ्यक्रम में शामिल करने की आवश्यकता