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अब प्राइवेट स्कूल वाले भी मांग नहीं पूरी होने पर उतरेंगे सड़कों पर

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सरकार से मदद नहीं मिलने वाले विद्यालयों को कोरोना (Corona) के कारण हुए आर्थिक संकट से उबारने में सक्षम होने की पृष्ठभूमि में बीड में स्वंय के दम पर सारा खर्च उठाने वाले इंग्लिश मीडियम स्कूल एक्शन कमेटी की बैठक हुई। बैठक में जिले के सभी पदाधिकारियों ने भाग लिया।

कोरोना के कारण पिछले 15 महीने से सभी स्कूल बंद हैं। इस बीच सरकारी स्कूलों को मिलने वाला अनुदान तो नहीं रुका है, लेकिन अभिभावकों से गैर अनुदान वाले स्कूलों की फीस रोक दी गई है। इस बैठक में तय किया गया है कि इससे स्ववित्तपोषित स्कूलों को जारी रखना मुश्किल होगा। निदेशक ने यह भी कहा कि अगर यही स्थिति बनी रहती है, तो अधिकांश स्कूलों को बंद करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

इसलिए सरकार को इन सभी पहलुओं पर ध्यान देना चाहिए, नहीं तो स्कूल बंद होने पर स्कूल और निदेशक जिम्मेदार नहीं होंगे।

शिक्षा विभाग की हड़ताल नीति और मंत्री द्वारा दिया गया मौखिक बयान, यह वित्तीय क्षमता नहीं बल्कि वित्तीय कल्याण है कि माता-पिता फीस का भुगतान नहीं करते हैं।
वहीं, आरटीई एक्ट के मुताबिक हर स्कूल में 25 फीसदी एडमिशन अनिवार्य है। और पांच से छह साल से इसकी फीस लेट होने से स्कूल प्रबंधन को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

चूंकि कई स्कूल बंद हो रहे हैं, बैठक के दौरान विभिन्न मांगें की गई हैं, जिसमें यह तथ्य भी शामिल है कि सरकार को आरटीई अधिनियम के अनुसार हर चार महीने में 25 प्रतिशत प्रवेश शुल्क देना चाहिए।
बैठक में आयोजकों की मांगें पूरी नहीं होने पर सड़कों पर उतरने की चेतावनी भी दी।

Reported by- Rajesh Soni

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