किसान आत्महत्या के मामलों में महाराष्ट्र की छवि बहुत खराब रही है। बता दें कि, यवतमाल तालुका के बोडबोडेन (Bodboden) गांव में साल 2003 से शुरू हुआ किसान आत्महत्या का सिलसिला अभी तक थमा नहीं है। गांव में अब तक करीब 30 किसान आत्महत्या कर चुके हैं। विधायक, सांसद, मंत्री, केंद्रीय मंत्री अब तक गांव का दौरा कर आश्वासन दे चुके हैं। हालांकि, किसानों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया है।
26 जनवरी 2003 को बोडबोडेन में कर्ज के कारण किसान विनोद भोड़द ने आत्महत्या कर ली थी। विलास राठौर ने भी 26 जुलाई को आत्महत्या कर ली थी। अब तक गांव के 30 किसान सूखे और कर्ज के कारण अपनी जीवन लीला समाप्त कर चुके हैं।
किसान आत्महत्याओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए ग्रामीण 26 के आंकड़े को अपशकुन मान रहे हैं। बुजुर्ग माता-पिता की बीमारी, बच्चों की शिक्षा, बेटियों की शादी, परिवार का भरण-पोषण के लिए किसानों को मेहनत करनी पड़ती है।
बोडबोडेन में केवल आठ आत्महत्याओं को ही मदद का पात्र माना गया था। सरकार ने परियोजना प्रभावित किसान की आत्महत्या को सहायता के लिए अपात्र घोषित कर दिया था।
विलास राठौर ने हाल ही में आत्महत्या कर ली थी। उनके पास पांच एकड़ का खेत है और इस साल बुवाई के लिए पैसे की कमी के कारण उनका खेत बदहाल हो गया। अपने परिवार का भरण-पोषण कैसे करें, इस वजह से उन्होंने यह कड़वा फैसला लिया। मृतक किसान के माता-पिता का कुछ साल पहले निधन हो गया था। परिवार में अब केवल एक पत्नी और दो छोटे बच्चे हैं। सरकार से परिवार को आर्थिक मदद देने को कहा जा रहा है
Report by : Rajesh Soni
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