Crowdfunding and Government Support : मुंबई की चार वर्षीय तीरा कामत की जिंदगी किसी चमत्कार से कम नहीं है। जब वह केवल छह महीने की थी, तब उसे एक दुर्लभ और गंभीर आनुवंशिक बीमारी, स्पाइनल मस्कुलर अट्रोफी (SMA) टाइप-1 का पता चला। इस बीमारी में बच्चों की मांसपेशियां धीरे-धीरे इतनी कमजोर हो जाती हैं कि वे ठीक से हिल भी नहीं पाते, सांस लेने में तकलीफ होती है, और समय पर इलाज न मिलने पर जान का खतरा बना रहता है।(Crowdfunding and Government Support)
इस बीमारी के इलाज के लिए सिर्फ एक ही दवा थी — ज़ोल्गेन्स्मा नामक इंजेक्शन, जिसकी कीमत करीब 16 करोड़ रुपये थी। इतनी बड़ी रकम जुटाना तीरा के माता-पिता के लिए बेहद मुश्किल था, लेकिन उन्होंने अपनी बेटी के लिए हार नहीं मानी। उन्होंने क्राउडफंडिंग के जरिए लोगों से मदद की अपील की। सोशल मीडिया पर उनकी मुहिम को लोगों ने खूब समर्थन दिया, और धीरे-धीरे आवश्यक राशि इकट्ठा हो गई।
जब यह मामला सरकार तक पहुंचा, तो केंद्र सरकार ने भी सहानुभूति दिखाते हुए 6 करोड़ रुपये के आयात शुल्क और टैक्स माफ कर दिए। इसके बाद, 27 फरवरी 2021 को मुंबई के हिंदुजा अस्पताल में तीरा को ज़ोल्गेन्स्मा का इंजेक्शन दिया गया।
इलाज के बाद तीरा की सेहत में धीरे-धीरे सुधार होने लगा। जहां पहले वह वेंटिलेटर के बिना सांस नहीं ले सकती थी, अब वह बिना किसी सहायता के सांस ले पाती है। वह बैठने लगी, अपने दम पर खड़ी होने की कोशिश कर रही है, और सबसे खास बात यह है कि उसने हिंदी, अंग्रेजी, मराठी और कोंकणी — चार भाषाओं में बोलना शुरू कर दिया है।
तीरा की कहानी संघर्ष, उम्मीद और इंसानियत की ताकत की मिसाल है। उसके माता-पिता के साहस, समाज के सहयोग और आधुनिक चिकित्सा विज्ञान ने मिलकर असंभव को संभव बना दिया। यह कहानी साबित करती है कि प्यार और दृढ़ निश्चय के साथ बड़ी से बड़ी बाधा भी पार की जा सकती है।