महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उनके दल की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। जून के महीने में एकनाथ शिंदे ने 40 विधायकों के साथ बगावत कर पार्टी को दो टुकड़ों में तोड़ दिया था। उसके बाद पार्टी के चुनाव चिन्ह को लेकर भी चुनाव आयोग से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में दावा ठोका है। अब एकनाथ शिंदे ने शिवसेना पार्टी के नागपुर विधानसभा में कार्यालय को भी अपने कब्जे में ले लिया है। आज से महाराष्ट्र विधानसभा के शीतकालीन सत्र की शुरुआत नागपुर विधानमंडल में हुई है। ऐसे में विधायकों की संख्या को देखते हुए अब तक शिवसेना पार्टी ऑफिस को एकनाथ शिंदे गुट को दे दिया गया है। जबकि उद्धव बालासाहेब ठाकरे गुट को एक वैकल्पिक जगह दी गई है। किसी भी पार्टी में विधायकों, सांसदों की एकजुट रहने का मतलब है पार्टी की मजबूती होता है लेकिन बीते 4 महीनों से शिवसेना इसी तकलीफ से गुजर रही है।
साल 2019 के बाद पहली बार नागपुर में शीतकालीन अधिवेशन सत्र हो रहा है लेकिन इस सत्र में शिवसेना के बरसो पुराने कार्यालय को ही बदल दिया गया। जो की इस समय यह कार्यालय एकनाथ शिंदे गुट को दिया गया। उस दौरान सालों से काम कर रहे हैं यहां के कर्मचारी भी काफी भावुक नजर आए। ऑफिस छोड़ने के दौरान महिलाकर्मियों की आंखें भी नम थीं।
नागपुर में 10 दिनों के लिए महाराष्ट्र सरकार का शीतकालीन अधिवेशन आज से शुरू हो चुका है। अधिवेशन के पहले दिन ही महाविकास अघाड़ी के घटक दलों ने एकनाथ शिंदे सरकार पर जमकर निशाना साधा है। इस अधिवेशन में भी ‘पचास खोखे एकदम ओके’ का नारा बुलंद किया गया। सत्ताधारी पक्ष को भी इस बात की उम्मीद थी कि यह अधिवेशन सत्र हंगामें से भरा होने वाला है क्योंकि अधिवेशन के एक दिन पहले सत्ताधारी दल की तरफ से आयोजित की जाने वाली टी पार्टी को हमेशा की तरह इस बार भी विपक्षी दलों ने बायकाट किया था।
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