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BMC Elections 2025: महायुति में दरार और BMC चुनावों से पहले बढ़ती खींचतान

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BMC Elections 2025: महायुति में दरार और BMC चुनावों से पहले बढ़ती खींचतान

मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) चुनाव से पहले महाराष्ट्र की राजनीति तेज़ी से करवट ले रही है। देश की सबसे अमीर नगर निकाय मानी जाने वाली बीएमसी के चुनाव जनवरी 2026 में होने की संभावना है, और जैसे-जैसे चुनाव नज़दीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे राज्य की सत्ता में शामिल महायुति गठबंधन—भाजपा, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की राकांपा—के भीतर मतभेद खुलकर सामने आने लगे हैं। महाविकास अघाड़ी टूटने और सत्तांतरण के बाद अब सरकार में शामिल इन दलों के बीच सीट बंटवारे, नेतृत्व और राजनीतिक प्रभाव को लेकर तनाव बढ़ता दिख रहा है। (BMC Elections 2025)

महाराष्ट्र में सत्ताधारी महायुति के भीतर सबसे बड़ा मुद्दा बीएमसी की सीटों के बंटवारे को लेकर है। शिवसेना (शिंदे गुट) का मानना है कि वह मुंबई की “मूल पार्टी” है और इसलिए उसके पास बीएमसी में अधिक सीटें जानी चाहिए। दूसरी ओर भाजपा इस बात को लेकर स्पष्ट है कि 2017 के बीएमसी चुनावों में वह शिवसेना के बराबर की शक्ति बनकर उभरी थी और इस बार उसका दावा कहीं अधिक मजबूत है। ऐसे में भाजपा अपने जनाधार और पिछले प्रदर्शन के आधार पर सीटों में बड़ा हिस्सा चाहती है। (BMC Elections 2025)

उधर, अजित पवार की राकांपा, जो हाल ही में सत्ता का हिस्सा बनी है, वह भी बीएमसी में अपनी मौजूदगी को मजबूत करने की कोशिश कर रही है। हालांकि मुंबई में राकांपा की पकड़ कमजोर रही है, फिर भी गठबंधन का हिस्सा होने के नाते वह सीटों का उचित बंटवारा चाहती है। यही वजह है कि तीनों दलों के बीच तालमेल बैठाना बड़ा चुनौतीपूर्ण बन गया है।

इसके अलावा, मुंबई की राजनीति में मराठी और गैर-मराठी वोट बैंक का समीकरण भी एक अहम पहलू है। शिंदे गुट मराठी मतदाताओं को अपनी तरफ बनाए रखने पर जोर दे रहा है, जबकि भाजपा मुंबई में अपने व्यापक राष्ट्रीय नेतृत्व और संगठनात्मक नेटवर्क का उपयोग कर मतदाताओं को आकर्षित करने में लगी है। इस बीच, कांग्रेस और उद्धव ठाकरे की शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) तथा शरद पवार की राकांपा (एसपी गुट) विपक्ष में रहते हुए महायुति के अंतर्विरोधों को मुद्दा बनाकर राजनीतिक बढ़त हासिल करने की रणनीति बना रहे हैं।

महाराष्ट्र की राजनीति में हाल ही में देखे गए सत्ता परिवर्तन, विभाजन और नए समीकरणों ने चुनावी माहौल को और पेचीदा बना दिया है। जनता अभी भी यह समझने की कोशिश कर रही है कि राजनीतिक पार्टियों के भीतर हुए बदलाव किस दिशा में राज्य को ले जाएंगे।

कुल मिलाकर, बीएमसी चुनाव केवल मुंबई की नगर राजनीति नहीं, बल्कि महाराष्ट्र के समूचे राजनीतिक परिदृश्य की दिशा तय करेंगे। महायुति के अंदर बढ़ती खींचतान, विपक्ष की रणनीति और बदलते जनमत—ये सभी आने वाले महीनों में राज्य की राजनीति को और गर्म करेंगे। चुनाव नज़दीक आते ही महायुति को एकजुट दिखना होगा, वरना आंतरिक मतभेद उनके लिए बड़ी चुनौती बन सकते हैं। (BMC Elections 2025)

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