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मुंबई में 10 करोड़ के मच्छर

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मच्छर एक साधारण कीड़ा होता है। लेकिन मच्छर मलेरिया, डेंगू, मलेरिया(Malaria), चिकनगुनिया ( Chikungunya) और एलिफेंटियासिस (Elephantiasis)  जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बनता है। जिसके कारण सेहत के मद्देनजर मच्छरों का खात्मा बेहद जरूरी है। इसी वजह से देश में विभिन्न स्थानीय प्रशासनों के मच्छर मारने और भगाने के लिए अलग-अलग बजट होते हैं। अगर बात करें मुंबई नगर निगम यानी (बीएमसी) की तो, मच्छरों को नियंत्रित करने के लिए मनपा 10 करोड़ 12 लाख रुपये खर्च करता है।

बीएमसी मच्छरों की उत्पत्ति को नियंत्रित करने के लिए हर साल 11 लाख लीटर कीटनाशक तेल खरीदती है। इसकी कीमत 10 करोड़ 12 लाख 44 हजार रुपये है। चूंकि अगले तीन साल के लिए तेल की खरीद की जाएगी। जिसके लिए बीएमसी अगले तीन साल में कीटनाशक तेल पर 30 करोड़ 37 लाख 32 हजार रुपये खर्च करेगी।

मुंबई नगर निगम के तहत कीटनाशक एक अलग विभाग है। डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए मच्छरों की उत्पत्ति का पता लगाने के लिए घरों और उनके आसपास का निरीक्षण किया जाता है।
इस साल 40,000 से ज्यादा जगहों पर मच्छरों के लार्वा पाए गए। जिसके कारण एडीज एजिप्टी डेंगू फैला। मलेरिया फैलाने वाले लार्वा 8,000 से अधिक स्थानों पर पाए गए। कीटनाशक विभाग के 1,500 कर्मचारी और अधिकारी मुंबई के विभिन्न हिस्सों का निरीक्षण कर रहे हैं।

नगर निगम के कर्मचारी इमारत में पानी की टंकियों, स्लम के पानी के पाइप, प्लास्टिक, टायर, पेड़ के तने, नारियल की भूसी आदि में रुके हुए पानी का निपटान करते हैं। उस जगह के पानी की जांच भी की जाती है। ऐसे जल भंडारण क्षेत्रों में लार्वा का छिड़काव किया जाता है।

Reported By: Rajesh Soni

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