बॉम्बे उच्च न्यायालय (Bombay High Court) ने गुरुवार को उम्मीद जताई कि राज्य सरकार मुंबई लोकल ट्रेन में आम जनता के प्रवेश के बारे में कुछ सकारात्मक रास्ता निकालेगी। और लोगों को 15 अगस्त के अवसर पर लोकल में यात्रा करने की आजादी मिलेगी।
साथ ही, रेलवे ने अभी तक पत्रकारों को आवश्यक सेवाओं में यात्रा करने की अनुमति क्यों नहीं दी है? उन्होंने यह भी सवाल राज्य सरकार से किया। हाईकोर्ट ने याचिकाओं पर सुनवाई अगले गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दी।
लोकल ट्रेन को लेकर उच्च न्यायालय में कई याचिकाएं दायर की गई हैं। इन सभी याचिकाओं में वैक्सीन की दोनों खुराक लेने वालों को लोकल ट्रेन में यात्रा करने की अनुमति देने की मांग की गई है। इन सभी याचिकाओं पर चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस गिरीश कुलकर्णी के समक्ष सुनवाई हुई।
याचिकाकर्ताओं ने इस समय अदालत को सूचित किया कि लोग अब बिना टिकट ट्रेन से यात्रा करने लगे हैं। क्योंकि मजदूर वर्ग के पास लंबी दूरी तय करने के लिए लोकल ट्रेन के अलावा और कोई विकल्प नहीं है। इसलिए वे प्रतिदिन 500 रुपये का जुर्माना देने को तैयार हैं।
उच्च न्यायालय ने कहा कि, ‘ क्या वर्तमान में मुंबई में BEST बस में यात्रा के दौरान होने वाली भीड़ पर किसीके नियंत्रण है? हर कोई बस से यात्रा करता है, किसी पर कोई प्रतिबंध नहीं है, इसलिए इस तथ्य पर विचार करें कि भीड़भाड़ बढ़ने के कारण बेस्ट बसों की यातायात पर भारी दबाव है।
एडवोकेट जनरल आशितोष कुंभकोनी ने इस मुद्दे पर हाईकोर्ट को जानकारी देते हुए कहा कि एक तिहाई आबादी अभी भी टीकाकरण से वंचित है। इसलिए वे दूसरों को खतरे में नहीं डाल सकते हैं।
राज्य सरकार लोकल ट्रेन में यात्रा की बिल्कुल भी अनुमति नहीं दे सकती है। इस पर प्रधान न्यायाधीश ने सवाल किया, फिर वह वैक्सीन नहीं लगाने वाले लोगों को छोड़कर दूसरों के लिए यात्रा की अनुमति क्यों नहीं देते? जिन्होंने दो वैक्सीन लगा ली है। क्यों दो तिहाई लोगों को बंधक बनाया जा रहा है? महाधिवक्ता ने उच्च न्यायालय को आश्वासन दिया कि हम टास्क फोर्स के साथ इस मामले पर चर्चा करेंगे।
Report by : Rajesh Soni
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