महाराष्ट्र सरकार ने राज्य के स्कूलों में सीबीएसई पाठ्यक्रम लागू करने का निर्णय लिया है, लेकिन इस फैसले को लेकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की सांसद सुप्रिया सुले ने कड़ी आलोचना की है। उन्होंने राज्य सरकार से कई अहम सवाल पूछे हैं, जिनमें मराठी भाषा और राज्य शिक्षा बोर्ड की स्थिति को लेकर गंभीर चिंता जताई गई है।
सुप्रिया सुले ने सवाल उठाया कि अगर सीबीएसई पाठ्यक्रम लागू किया जा रहा है, तो क्या इसका मतलब राज्य शिक्षा बोर्ड को बंद करने की योजना बनाई जा रही है? उन्होंने यह भी जानना चाहा कि इस नए पाठ्यक्रम में मराठी भाषा को कितना महत्व दिया जाएगा और क्या महाराष्ट्र के इतिहास और राज्य से जुड़ी जानकारी को इसमें पर्याप्त स्थान मिलेगा।
उन्होंने दक्षिण भारत की भाषाओं की स्थिति का हवाला देते हुए महाराष्ट्र में मराठी के भविष्य को लेकर चिंता व्यक्त की। उनका कहना है कि यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि मराठी भाषा पर इस फैसले का क्या असर पड़ेगा।
सुप्रिया सुले ने परीक्षा प्रणाली और शिक्षकों की तैयारी पर भी सवाल उठाए। उन्होंने पूछा कि क्या राज्य में सीबीएसई पाठ्यक्रम के अनुसार परीक्षाएं संचालित करने के लिए पर्याप्त शिक्षक और संसाधन उपलब्ध हैं? इसके अलावा, उन्होंने यह जानना चाहा कि क्या यह निर्णय अचानक लिया गया है या इसके लिए पहले से कोई विस्तृत योजना बनाई गई थी।
उनका मानना है कि महाराष्ट्र जैसे राज्य में, जहां मराठी भाषा और संस्कृति की गहरी जड़ें हैं, इस बदलाव पर व्यापक विचार-विमर्श किया जाना चाहिए था। यह मुद्दा न केवल सीबीएसई पाठ्यक्रम के कार्यान्वयन से जुड़ा है, बल्कि महाराष्ट्र की स्थानीय पहचान, भाषा और शिक्षा व्यवस्था के भविष्य को लेकर भी गहन बहस का कारण बन सकता है।
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