उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने ‘सामना’ के अग्रलेख में उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर तीखा हमला बोलते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की सख्त प्रशासनिक नीतियों की सराहना की है। लेख में कहा गया है कि फडणवीस ने राज्य में फैले भ्रष्टाचार पर कड़ा प्रहार करते हुए मंत्रियों के ‘पीए’ और ‘ओएसडी’ की नियुक्ति के अधिकार छीन लिए हैं। फडणवीस द्वारा 16 विवादित नामों को खारिज करने से शिंदे गुट में हड़कंप मच गया है, क्योंकि इनमें से 12 नाम उनके ही मंत्रियों द्वारा सुझाए गए थे।
भ्रष्टाचार की सफाई में जुटे फडणवीस
लेख में आरोप लगाया गया है कि शिंदे गुट के कई नेता टेंडर, भूमि घोटालों, और सरकारी कामों में दलाली के जरिए पैसा इकट्ठा कर रहे थे। 500 करोड़ के टेंडर को 3000 करोड़ तक बढ़ाकर करोड़ों की लूट की जा रही थी। यहां तक कि शिंदे के करीबी कलेक्टर पर 10,000 करोड़ लेकर दुबई भागने का आरोप भी लगाया गया है। फडणवीस ने इन सभी अनियमितताओं पर शिकंजा कसने का फैसला लिया है, जिससे शिंदे गुट की आर्थिक स्थिति डगमगाने लगी है।
ठेकेदारों और फिक्सरों की मुश्किलें बढ़ीं
लेख में कहा गया है कि शिंदे सरकार के दौरान मंत्रालय दलालों और फिक्सरों का अड्डा बन गया था। बिना ‘कमिशन’ के कोई काम नहीं हो रहा था, यहां तक कि विदेशी कंपनियों को भी भुगतान के बदले ‘डील’ करने को मजबूर किया जा रहा था। फडणवीस की सख्ती के कारण कई फिक्सर और ठेकेदार मुश्किल में आ गए हैं। यही वजह है कि शिंदे ने कथित तौर पर आधी रात को अमित शाह से मिलकर इस मुद्दे पर चर्चा की।
भविष्य की राजनीति पर असर
फडणवीस के फैसलों से शिंदे गुट की आर्थिक नींव कमजोर हो रही है, जिससे आगामी चुनावों में उनके लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं। लेख में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भ्रष्टाचार विरोधी रुख की तारीफ करते हुए कहा गया है कि फडणवीस को शिंदे गुट के भ्रष्ट नेताओं की पूरी सूची मोदी को सौंप देनी चाहिए। हालांकि, लेख के अंत में यह भी माना गया है कि फडणवीस का यह सफाई अभियान आसान नहीं होगा, क्योंकि भ्रष्टाचार की जड़ें काफी गहरी हैं।
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