महाराष्ट्र की राजनीति में चुनाव से पहले एक बार फिर बयानबाज़ी तेज हो गई है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के एक विवादित बयान ने नया सियासी बवाल खड़ा कर दिया है। शिंदे ने शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) प्रमुख उद्धव ठाकरे पर तीखा हमला बोलते हुए उन्हें ‘धुरंधर का रहमान डकैत’ बताया। (Eknath Shinde on Uddhav Thackeray)
उनके इस बयान के बाद राज्य की राजनीति गरमा गई है और विपक्ष ने इसे निंदनीय और मर्यादाओं के खिलाफ करार दिया है।
जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान बोल रहे थे, जहां उन्होंने शिवसेना के विभाजन और मौजूदा राजनीतिक हालात पर टिप्पणी की। इसी दौरान उन्होंने उद्धव ठाकरे पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वे बाहर से शांत और सरल दिखाई देते हैं, लेकिन असल में राजनीति में बेहद चालाक हैं। शिंदे के इसी बयान में ‘धुरंधर का रहमान डकैत’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया, जिसने राजनीतिक विवाद को जन्म दे दिया।
शिंदे गुट का कहना है कि मुख्यमंत्री ने यह बयान राजनीतिक संदर्भ में और व्यंग्य के तौर पर दिया है। शिंदे समर्थकों का दावा है कि उद्धव ठाकरे ने सत्ता के दौरान सहयोगियों के साथ छल किया और अपनी राजनीति केवल सत्ता बचाने तक सीमित रखी। उनका कहना है कि शिंदे ने वही बात जनता के सामने रखी है, जो आम लोग महसूस कर रहे हैं।
वहीं, उद्धव ठाकरे गुट यानी शिवसेना (यूबीटी) ने इस बयान पर कड़ा ऐतराज जताया है। पार्टी नेताओं ने कहा कि मुख्यमंत्री पद पर बैठे व्यक्ति को इस तरह की भाषा का प्रयोग शोभा नहीं देता। यूबीटी नेताओं का आरोप है कि शिंदे चुनाव से पहले जानबूझकर स्तरहीन बयानबाज़ी कर रहे हैं, ताकि असली मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाया जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि शिंदे को पहले अपने कामकाज और किए गए वादों का हिसाब देना चाहिए।
शिवसेना (यूबीटी) के प्रवक्ताओं ने शिंदे के बयान को व्यक्तिगत हमला बताते हुए कहा कि इससे महाराष्ट्र की राजनीतिक संस्कृति को नुकसान पहुंच रहा है। उन्होंने मांग की कि मुख्यमंत्री को अपने शब्दों के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए। कुछ नेताओं ने तो यह भी संकेत दिया कि इस बयान को लेकर कानूनी कार्रवाई पर भी विचार किया जा सकता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे नेताओं की भाषा और अधिक आक्रामक होती जा रही है। शिंदे और ठाकरे के बीच पहले से ही तल्ख रिश्ते रहे हैं और शिवसेना के विभाजन के बाद यह टकराव और गहरा गया है। ऐसे बयानों का सीधा असर चुनावी माहौल पर पड़ सकता है, खासकर शहरी और युवा मतदाताओं पर।
इस बयान पर कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने भी प्रतिक्रिया दी है। विपक्षी दलों का कहना है कि सत्ताधारी नेताओं को गंभीर मुद्दों जैसे महंगाई, बेरोजगारी और विकास पर बात करनी चाहिए, न कि व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप में उलझना चाहिए। (Eknath Shinde on Uddhav Thackeray)
कुल मिलाकर, एकनाथ शिंदे के बयान ने महाराष्ट्र की राजनीति में एक और विवाद को जन्म दे दिया है। आने वाले दिनों में इस बयान पर सियासी बयानबाज़ी और तेज होने की संभावना है। चुनावी माहौल में इस तरह की टिप्पणियां राजनीतिक तापमान को और बढ़ा रही हैं और यह देखना दिलचस्प होगा कि इसका असर मतदाताओं पर किस रूप में पड़ता है। (Eknath Shinde on Uddhav Thackeray)