मुंबई, सपनों का शहर, आज एक गंभीर समस्या का सामना कर रहा है—सड़क दुर्घटनाओं में ‘हिट-एंड-रन’ मामलों की बढ़ती संख्या। आंकड़े बताते हैं कि शहर में होने वाली घातक सड़क दुर्घटनाओं में से 38% ‘हिट-एंड-रन’ के मामले हैं, जो चिंताजनक है।
सड़क हादसों के आंकड़े
मुंबई ट्रैफिक पुलिस और ‘ब्लूमबर्ग फिलान्थ्रॉपीज इनिशिएटिव फॉर ग्लोबल रोड सेफ्टी’ द्वारा जारी रिपोर्ट के
कुल सड़क दुर्घटनाएं (2023): 351
कुल मौतें: 374 (2015 की तुलना में 39% अधिक)
मृतकों में पैदल यात्रियों का प्रतिशत: 54%
मृतकों में दोपहिया और तीन पहिया वाहन सवारों का प्रतिशत: 48%
मृतकों में पुरुषों का प्रतिशत: 82%
मृतकों में 20-39 वर्ष आयु वर्ग का प्रतिशत: 47%
खतरनाक स्थान
रिपोर्ट में कुछ स्थानों को ‘हिट-एंड-रन’ दुर्घटनाओं के लिए विशेष रूप से खतरनाक बताया गया है:
सियोन-पनवेल हाईवे
घाटकोपर-मनखुर्द लिंक रोड
वर्ली सीफेस जंक्शन
इन स्थानों पर पैदल यात्रियों के लिए जोखिम अधिक है, जबकि वेस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे, सियोन-बांद्रा लिंक रोड और बैगनवाड़ी सिग्नल जंक्शन पर सबसे अधिक सड़क दुर्घटनाएं और मौतें दर्ज की गई हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, सड़क दुर्घटनाओं के प्रमुख कारणों में शामिल हैं:
तेज गति से वाहन चलाना: ओवरस्पीडिंग के कारण हादसों में 71% मौतें होती हैं।
नशे में वाहन चलाना
हेलमेट और सीट बेल्ट का उपयोग न करना
नाबालिगों द्वारा वाहन चलाना
कानूनी प्रावधान
भारत में ‘हिट-एंड-रन’ मामलों के लिए कड़े कानूनी प्रावधान हैं। भारतीय न्याय संहिता के तहत, ऐसे मामलों में अधिकतम 10 साल की सजा और 9 लाख रुपये तक जुर्माने का प्रावधान है।
गति सीमा का सख्ती से पालन: तेज गति से वाहन चलाने पर नियंत्रण आवश्यक है।
हेलमेट और सीट बेल्ट का अनिवार्य उपयोग: सुरक्षा उपकरणों का उपयोग जीवन रक्षा में महत्वपूर्ण है।
पैदल यात्रियों और साइकिल चालकों के लिए सुरक्षित मार्ग विकसित करना: सुरक्षित मार्गों की उपलब्धता दुर्घटनाओं को कम कर सकती है।
मुंबई में ‘हिट-एंड-रन’ हादसों की बढ़ती संख्या एक गंभीर समस्या है, जो न केवल कानून व्यवस्था बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी पर भी सवाल उठाती है। सड़क सुरक्षा के नियमों का पालन, जागरूकता अभियान, और सख्त कानूनों का कार्यान्वयन समय की मांग है, ताकि सड़कें सभी के लिए सुरक्षित बन सकें।
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