Thackeray group: मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की पार्टी ने ठाकरे गुट को बड़ा झटका दिया है. कुछ दिन पहले शिंदे गुट के एक बड़े नेता ठाकरे गुट में चले गये थे. लेकिन महज 15 दिन में ही इस नेता की घर वापसी हो गई है. एकनाथ शिंदे की मौजूदगी में इस नेता का पार्टी प्रवेश कार्यक्रम आयोजित किया गया है. इसलिए इसे शिंदे गुट की ओर से ठाकरे गुट के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है.
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना छोड़कर ठाकरे गुट में शामिल हुए भायखला डिविजन के पदाधिकारी संतोष कदम और प्राची कदम ने महज पंद्रह दिनों में घर लौटने का फैसला किया है। इन दोनों ने एक बार फिर से ठाकरे गुट को ‘जय महाराष्ट्र’ कहते हुए शिवसेना में प्रवेश कर लिया है. यह दल प्रवेश कल मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के निवास ‘वर्षा’ पर शिवसेना उपनेता एवं विभाग प्रमुख यशवंत जाधव की उपस्थिति में संपन्न हुआ.(Thackeray group)
पंद्रह दिन पहले कुछ गलतफहमी के कारण संतोष कदम ने शिवसेना छोड़ दी और उभाटा ग्रुप में शामिल हो गये. उनके फैसले से खुश हुए ठाकरे गुट के नेताओं ने उन्हें ठाकरे गुट के मुखिया उद्धव ठाकरे की मदद से पार्टी में शामिल करा लिया. इस घटना की खबर ‘सामना’ अखबार में भी इस शीर्षक के साथ छपी थी कि शिंदे समूह को बैकाल में एक सुरंग मिली है। लेकिन जैसे ही ये बात यशवंत जाधव को पता चली तो उन्होंने फोन कर कदम से ये फैसला लेने के पीछे की वजह पूछी. उस वक्त उन्हें कदम की नाराजगी का कारण समझ आया. उन्होंने समय रहते संबंधित व्यक्ति को उचित समझाइश देकर संतोष कदम और प्राची कदम की नाराजगी दूर कर दी.
संतोष कदम ने मुख्यमंत्री से की मुलाकात और…
यह महसूस करते हुए कि उनके जल्दबाजी के फैसले से पार्टी में गलत संदेश गया, संतोष कदम ने यशवंत जाधव की मदद से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से मुलाकात की। उन्होंने पार्टी में फिर से सक्रिय होने की इच्छा जताई. इस पर मुख्यमंत्री ने तुरंत उन्हें दोबारा पार्टी में शामिल करा लिया. मुख्यमंत्री ने उनसे कहा कि जो कुछ हुआ उसे भूल जाओ और पार्टी के विकास के लिए फिर से सक्रिय हो जाओ लिहाजा महज 15 दिन में ही ‘जय महाराष्ट्र’ कहने के बाद ठाकरे गुट में गए पदाधिकारी फिर से शिवसेना में सक्रिय हो गए हैं, जिससे शिंदे गुट में खुशी का माहौल है.
प्राची कदम के साथ संतोष कदम के साथ रेहान खंडवानी, ज्योति पाटिल, रेशमा काले, मानसी सकपाल, प्रिया कदम, अमित खानविलकर, विजय पवार, चैतन्य पाटिल और अन्य कार्यकर्ता भी शिवसेना में शामिल हुए। ऐसे में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने उभाटा गुट को एक बार फिर झटका क्यों दिया, इसकी चर्चा भायखला विधानसभा क्षेत्र में चल रही है.