रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन अनील अंबानी ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) को सूचित किया है कि वे विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) से जुड़े मामले में पूरी तरह सहयोग करने के लिए तैयार हैं और व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के बजाय वर्चुअल माध्यम से बयान देने की अनुमति चाहते हैं। शुक्रवार को ED द्वारा उन्हें व्यक्तिगत उपस्थिति के लिए तलब किया गया था, लेकिन अंबानी ने एक पत्र भेजकर डिजिटल माध्यम से शामिल होने की इच्छा जाहिर की है। उनके प्रतिनिधियों का कहना है कि अंबानी ने जांच प्रक्रिया में पूर्ण पारदर्शिता और सहयोग का आश्वासन दिया है। (Jaipur-Ringas Highway project)
रिलायंस ग्रुप ने स्पष्ट किया है कि ED द्वारा जारी किया गया समन केवल FEMA से संबंधित जांच के लिए है और इसका किसी भी तरह के मनी लॉन्ड्रिंग रोधक अधिनियम (PMLA) से जुड़े मामले से कोई संबंध नहीं है।
कंपनी की ओर से कहा गया है कि कई मीडिया रिपोर्टों में PMLA से जुड़े आरोपों का उल्लेख किया गया है, जो भ्रामक हैं और प्रवर्तन निदेशालय द्वारा साझा की गई आधिकारिक जानकारी से मेल नहीं खाते।
ED की 3 नवंबर 2025 की सार्वजनिक विज्ञप्ति के अनुसार, यह जांच विशेष रूप से जयपुर–रींगस हाईवे परियोजना से जुड़े FEMA मामले पर केंद्रित है। यह परियोजना वर्ष 2010 में शुरू हुई थी और उससे जुड़ी कुछ वित्तीय गतिविधियों की जांच की जा रही है। एजेंसी यह जानने की कोशिश कर रही है कि परियोजना के दौरान विदेशी मुद्रा से संबंधित कोई अनियमितता तो नहीं हुई। (Jaipur-Ringas Highway project)
अंबानी की ओर से भेजे गए पत्र में कहा गया है कि वे पूरी तरह सहयोग के इच्छुक हैं तथा जांच की प्रक्रिया को तेज और सुचारू बनाने के लिए वर्चुअल तरीके से उपस्थित होना चाहते हैं। उनके अनुसार, डिजिटल उपस्थिति से न केवल समय की बचत होगी बल्कि इससे जांच एजेंसी को भी सुविधाजनक तरीके से आवश्यक विवरण प्राप्त हो सकेंगे। (Jaipur-Ringas Highway project)
रिलायंस ग्रुप के अधिकारियों ने दोहराया कि किसी भी प्रकार की गलत रिपोर्टिंग से बचना चाहिए और तथ्य केवल आधिकारिक दस्तावेजों के आधार पर ही प्रस्तुत किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि ED की ओर से भेजे गए समन में स्पष्ट रूप से FEMA मामले का उल्लेख है, इसलिए PMLA से जोड़ना अनुचित है।
अंबानी और उनकी टीम का कहना है कि वे इस जांच को लेकर पूरी तरह आश्वस्त हैं और सभी दस्तावेज तथा जानकारी समय पर उपलब्ध कराते रहेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि पारदर्शिता और कानून का पालन करना उनकी प्राथमिकता है।
इस पूरे घटनाक्रम के बीच, यह मामला एक बार फिर सुर्खियों में है और उद्योग जगत इस पर करीबी नजर बनाए हुए है। ED अब यह निर्णय ले सकती है कि अंबानी को वर्चुअली शामिल होने की अनुमति दी जाए या उन्हें व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना होगा। हालांकि, अंबानी की ओर से जताई गई सहयोग की इच्छा से यह संकेत मिलता है कि वे इस मामले को जल्द से जल्द निपटाना चाहते हैं।