दिल्ली कार ब्लास्ट मामले में अब कई बड़े खुलासे सामने आए हैं। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, आत्मघाती हमलावर डॉ. उमर मोहम्मद नबी ने धमाके को अंजाम देने से पहले कई महीनों तक कट्टरपंथी वीडियो बनाए और उन्हें शेयर किया था। इन वीडियो का मकसद लोगों को कट्टर विचारधारा की ओर प्रभावित करना था। जांच एजेंसियों ने नबी के फोन से ऐसे 12 वीडियो बरामद किए हैं, जिनमें वह कट्टरपंथी संदेश दे रहा था। इनमें से एक वीडियो का विषय था:
“अगर थोड़े से अफगान मुजाहिदीन और तालिबान रूस और अमेरिका जैसी महाशक्तियों को हरा सकते हैं, तो आप भी कर सकते हैं।” (Jaish-e-Mohammed connection exposed)
यह बयान नबी की सोच और उसकी कट्टरपंथी विचारधारा को इंगित करता है। रिपोर्ट के अनुसार, नबी कई महीनों से विभिन्न लोगों के साथ एन्क्रिप्टेड ऐप्स के जरिए संपर्क में था। माना जाता है कि वह इस्लाम को अन्य धर्मों से श्रेष्ठ मानने जैसे कट्टर विचारों का समर्थन करता था। सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, उसने सोशल मीडिया और निजी नेटवर्क के माध्यम से ऐसे विचारों को फैलाने के प्रयास किए, जिससे उसके आसपास के लोग भी कट्टर मार्ग की ओर बढ़ें।
इस मामले में दूसरा बड़ा खुलासा जैश-ए-मोहम्मद से जुड़ा है। रिपोर्टों में दावा किया गया कि पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के एक हैंडलर ने बम बनाने के वीडियो और तकनीकें नबी के करीबी सहयोगी डॉ. मुज़म्मिल शाकिल को भेजी थीं। मुज़म्मिल शाकिल फरीदाबाद के अल-फलाह यूनिवर्सिटी में नबी के साथ काम कर रहा था और फरीदाबाद टेरर मॉड्यूल तथा दिल्ली कार ब्लास्ट दोनों मामलों का आरोपी है।
शाकिल और नबी की दोस्ती तथा उनके बीच की नजदीकी ने सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी थी। दोनों न सिर्फ एक साथ काम करते थे, बल्कि वैचारिक रूप से भी एक-दूसरे के काफी करीब बताए गए। रिपोर्ट के अनुसार, जैश का यह हैंडलर शाकिल के संपर्क में लगातार था और उसे विस्फोटक बनाने की प्रक्रिया समझा रहा था। इस तरह के वीडियो और निर्देश शाकिल को आतंकवादी गतिविधियों में शामिल करने की कोशिश का हिस्सा माने जा रहे हैं।
दिल्ली कार ब्लास्ट की घटना ने सुरक्षा व्यवस्था पर कई गंभीर सवाल खड़े किए थे, और यह मामला सामने आने के बाद जांच एजेंसियाँ यह समझने में जुटी हैं कि नबी और शाकिल कितने बड़े नेटवर्क का हिस्सा थे। जांच एजेंसियों का मानना है कि यह कोई अकेला हमला नहीं था, बल्कि इसके पीछे एक संगठित तंत्र काम कर रहा था। (Jaish-e-Mohammed connection exposed)
एजेंसियाँ अब यह भी पता लगाने में जुटी हैं कि नबी ने अपने कट्टरपंथी वीडियो किन-किन लोगों को भेजे, किसने उन्हें देखा और क्या उनके प्रभाव में अन्य लोग भी आए। इसके अलावा, जैश-ए-मोहम्मद के हैंडलरों के साथ बातचीत का पूरा रिकॉर्ड खंगाला जा रहा है, ताकि इस मॉड्यूल का दूसरा सिरा भी पकड़ में आए।
इस घटना ने एक बार फिर दिखाया है कि कैसे आतंकी संगठन सोशल मीडिया, एन्क्रिप्टेड ऐप्स और विश्वविद्यालयों में सक्रिय नेटवर्क के माध्यम से युवाओं को कट्टरपंथ की ओर धकेलने की कोशिश कर रहे हैं। फिलहाल, सुरक्षा एजेंसियाँ मामले की गहन जांच में जुटी हैं और अगले कुछ दिनों में और भी महत्वपूर्ण खुलासे होने की संभावना है। (Jaish-e-Mohammed connection exposed)