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जीतेंद्र अवाद का ‘वो’ सवाल, अजित दादा ग्रुप का दांडी गूल?

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जीतेंद्र अवाद का: एनसीपी विधायक जीतेंद्र अवध ने अजित पवार गुट से एक अहम सवाल पूछा है.इस सुनवाई के बाद जीतेंद्र अवाद ने प्रतिक्रिया दी. एनसीपी पार्टी में कभी कोई विवाद नहीं हुआ. पार्टी में कभी दो गुट नहीं रहे. साथ ही जीतेंद्र अवाद ने कहा कि अजित पवार ने शरद पवार के राष्ट्रपति बनने का समर्थन किया. इस दौरान उन्होंने अजित पवार गुट से एक अहम सवाल पूछा.

एनसीपी पार्टी के नाम और चुनाव चिन्ह पर आज केंद्रीय चुनाव आयोग में अहम सुनवाई हुई. इस सुनवाई के बाद एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार के गुट के वकील अभिषेक मनु सिंघवी और विधायक जितेंद्र अवध ने प्रतिक्रिया दी. अभिषेक मनु सिंघवी ने बताया कि आज चुनाव आयोग में शरद पवार गुट की ओर से देवदत्त कामत ने बहस की. एनसीपी के गठन के बाद से पार्टी में कभी कोई विवाद नहीं हुआ. साथ ही शरद पवार को खुद उपमुख्यमंत्री अजित पवार और सांसद प्रफुल्ल पटेल का भी समर्थन मिला. इसलिए इस सुनवाई का कोई मतलब नहीं है. अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि वे अपने स्वार्थ के लिए सत्ता में आये हैं. जितेंद्र अवध ने मीडिया को जवाब देते हुए एक अहम सवाल उठाया.(जीतेंद्र अवाद का)

पिछली सुनवाई में हलफनामे को लेकर दलीलें दी गई थीं. शरद पवार को राष्ट्रपति बनने का प्रस्ताव किसने दिया? यह सवाल ग्रुप से जितेंद्र अवध ने पूछा. चुनाव आयोग को इंदिरा गांधी और ब्रह्मानंद रेड्डी मामले जैसे पार्टी विवादों पर गौर करना चाहिए। जीतेंद्र अवाद ने कहा कि दोनों गुटों के बीच विवाद होना चाहिए. शरद पवार ने भी पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया ,जितेंद्र अवध ने कहा कि उन्होंने उनसे अपना इस्तीफा वापस ले लिया. जब शरद पवार ने इस्तीफा दिया तो अजित पवार ने अपना इस्तीफा वापस क्यों लिया? ये सवाल उठाया था जीतेंद्र अवाद ने.

ब्रह्मानंद रेड्डी बनाम इंदिरा गांधी के मामले का संदर्भ दिया गया है। विवाद अचानक नहीं होते. इसकी एक पृष्ठभूमि है. लेकिन यहां ऐसा नहीं है. 1999 के बाद हमारी पार्टी कैसे आगे बढ़ी इसकी जानकारी. 2020 में कोरोना की वजह से पार्टी में चुनाव नहीं हुआ. उसके बाद, चुनाव हुआ”, जितेंद्र अवाद ने कहा।

”यहां तक ​​कि पति-पत्नी का भी रातों-रात तलाक नहीं होता. इसमें समय भी लगता है. तो यह कैसे संभव है कि एक ही दिन में उनमें विवाद हो गया? विवाद पार्टी का नहीं बल्कि सत्ता का है. शरद पवार ने कड़ी मेहनत से पार्टी बनाई है. शरद पवार ने खून-खराबे के बाद पार्टी बनाई. एक बच्चे की तरह पाला गया. तो आख़िर विवाद कहां हुआ? जीतेंद्र अवध ने आलोचना करते हुए कहा कि यह विवाद पार्टी का नहीं बल्कि सत्ता का है. जीतेंद्र अवाद ने यह भी कहा कि ‘अजित पवार ने कभी भी पार्टी के पद का आनंद नहीं लिया।’

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