कल्याण-डोंबिवली में अवैध निर्माण पर केडीएमसी ने सख्त रुख अपनाते हुए 65 अवैध इमारतों को गिराने की कार्रवाई शुरू की है। बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश के बाद, महानगर पालिका ने यह कदम उठाया, जिससे 3500 से अधिक परिवारों पर बेघर होने का खतरा मंडरा रहा है।
स्थानीय बिल्डरों ने केडीएमसी अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी दस्तावेज बनवाए। अस्पताल, गार्डन और सार्वजनिक उपयोग के लिए आरक्षित जमीन पर बिना वैध अनुमति के बहुमंजिला इमारतें खड़ी कर दी गईं। लोगों को आकर्षित करने के लिए रेरा नंबर लेकर बैंकों से होम लोन भी मंजूर करवाए गए। खरीदारों को सरकारी योजनाओं के तहत सब्सिडी भी मिली, जिससे उन्हें इस धोखाधड़ी का एहसास नहीं हुआ।
एक व्हिसल ब्लोअर द्वारा जनहित याचिका दायर करने के बाद, बॉम्बे हाई कोर्ट ने फरवरी 2025 में केडीएमसी को आदेश दिया कि वह सभी अवैध इमारतों को तुरंत गिराए। अदालत ने कहा कि अवैध निर्माण को बढ़ावा देने वाले अधिकारियों और बिल्डरों पर भी कड़ी कार्रवाई की जाए।
इन इमारतों में रहने वाले लोगों ने अपनी पूरी जिंदगी की कमाई लगाकर घर खरीदे थे। अब बुलडोजर की आहट से उनका सपना टूटता नजर आ रहा है। कई लोगों ने लोन लेकर फ्लैट खरीदे थे, और अब वे न घर बचा पा रहे हैं, न ही लोन चुकाने की स्थिति में हैं। एक स्थानीय निवासी ने कहा, “गलती हमारी नहीं, फिर भी सजा हमें मिल रही है।”
केडीएमसी ने इमारत खाली करने के नोटिस जारी कर दिए हैं। पुलिस की मदद से इमारतों को खाली कराया जा रहा है, ताकि तोड़फोड़ के दौरान कोई जनहानि न हो। प्रशासन का कहना है कि अवैध निर्माण रोकने के लिए भविष्य में सख्त मॉनिटरिंग की जाएगी।
3500 परिवारों के सामने सबसे बड़ी चुनौती अब पुनर्वास की है। स्थानीय सामाजिक संगठनों और नेताओं ने मांग की है कि सरकार इन परिवारों के लिए वैकल्पिक आवास की योजना लाए। कई लोगों की उम्मीद राज्य सरकार के राहत पैकेज पर टिकी है।
यह घटना एक चेतावनी है कि कैसे बिल्डरों और अधिकारियों की मिलीभगत से आम लोग शिकार बनते हैं। केडीएमसी की यह कार्रवाई अवैध निर्माण के खिलाफ एक मिसाल बन सकती है, लेकिन जरूरी है कि सरकार पीड़ित परिवारों को राहत पहुंचाए और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्त नियम लागू करे।