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जानिए महाराष्ट्र में बच्चों की स्कूल फीस माफ ना होने का राज़?

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कोरोना (Corona) की जानलेवा दूसरी लहर को काबू करने के लिए लॉकडाउन लगाया गया था। लॉकडाउन लगने से आम आदमी के नौकरी-धंधे लगभग खत्म हो गए। वर्तमान समय में लोग भीषण आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं। आर्थिक संकट का आलम यह है कि अभिभावक अपने बच्चों की स्कूल फीस तक भरने में असक्षम नजर आ रहे हैं।

ऐसे में लोग बच्चों की फीस माफ करने के लिए लगातार केंद्र से लेकर राज्य सरकार तक फरियाद लगा रहे हैं। पर कोई भी इन गरीब अभिभावकों की फरियाद सुनने और इनकी मजबूरी को समझने के लिए तैयार नहीं है। अब सुनेंगे भी कैसे? क्योंकि महाराष्ट्र सरकार में शामिल ज्यादातर नेता और मंत्रियों के ही शिक्षण संस्थान हैं।
आइये हम आपको महाराष्ट्र के शिक्षण संस्थानों के गणित को आसान शब्दों में समझाते हैं?

महाराष्ट्र के पूर्व उपमुख्यमंत्री और एनसीपी के कद्दावर नेता छगन भुजबल की पहचान महाराष्ट्र में एक एजुकेशन टाइकून के रूप में है। इनका मुम्बई एजुकेशन ट्रस्ट नाम से एक ट्रस्ट चलता है। छगन भुजबल के ट्रस्ट के पास नाशिक और मुम्बई में दो एजुकेशनल कैंपस है। इन एजुकेशनल कैंपस में लगभग 30 हजार बच्चों पढ़ते हैं।

वहीं महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और एनसीपी प्रमुख शरद पवार के पास भी बहुत बड़ी शिक्षण संस्थानों की चेन है। पवार द्वारा स्थापित विद्या प्रतिष्ठान नाम की संस्था ने पुणे के बारामती में 20 से ज्यादा स्कूल स्थापित किये हैं। वहीं शरद पवार के पास ‘शरद पवार इंटरनेशनल स्कूल’ नाम से पुणे, मुम्बई, नवी मुम्बई और वर्ली में शिक्षण संस्थानों की चेन है।

इसके अलावा महाराष्ट्र कांग्रेस के कद्दावर नेता स्वर्गीय पतंगराव कदम ने भारतीय विद्यापीठ नाम से एक संस्था स्थापित की थी। यह ट्रस्ट पूरे राज्य में 180 से ज्यादा स्कूलों का संचालन करती है। इस संस्था के विद्यालयों से हर साल करीब 2 लाख से ज्यादा बच्चें शिक्षा ग्रहण करते हैं।

पतंगराव, शरद पवार, छगन भुजबल के अलावा भाजपा नेता विखे पाटिल भी अहमदनगर में मेडिकल कॉलेज चलाते है। वहीं इनकी परावारा रूरल एजुकेशन सोसाइटी के अंतर्गत सैंकड़ों कॉलेजों की चेन है। विखे पाटिल भी लंबे समय तक कांग्रेस पार्टी से जुड़े हुए थे।

इसी तरह महाराष्ट्र में आज ज्यादातर स्कूल और कॉलेजों को तमाम राजनीतिक पार्टियों के नेताओं की संस्थाएं चलाती है। इनमें ज्यादातर नेता कांग्रेस पार्टी से संबंध रखते हैं। एजुकेशन संस्था स्थापित कर यह नेता समाज में राजनीतिक शक्ति बढ़ाने के साथ-साथ जमीनों को भी बेहद कम दामों पर खरीद लेते हैं।

आपको मालूम हो कि महाराष्ट्र में करीब 84 हजार प्राइवेट स्कूल हैं। जिनमें केजी, नर्सरी, प्राइवेट, सेकेंडरी और जूनियर कॉलेज शामिल है। वहीं राज्य में 45 यूनिवर्सिटी है। जिसमें केंद्र और राज्य दोनों द्वारा संचालित यूनिवर्सिटी शामिल है।

यह हमारे देश की सरकारों का फर्ज है कि राष्ट्र के हर एक नागरिक के लिए उत्तम शिक्षा और स्वास्थ्य को मिनिमम दामों पर सुनिश्चित किया जाए। पर आज प्राइवेट स्कूल और अस्पताल दोनों मिलकर जनता को लूट रहे हैं। आप इन सरकारों के मंत्रियों से आपको बच्चों की फीस माफी के लिए मदद की अपेक्षा भी कैसे कर सकते हैं? क्योंकि महाराष्ट्र के ज्यादातर शिक्षण संस्थान इन नेताओं के हैं।

इन शिक्षण संस्थानों के मालिक में सत्ता और विपक्षी दल दोनों के नेता शामिल हैं। इसका मतलब यह हुआ कि आपका सरकार से फीस में राहत देने की गुहार लगाना बिल्कुल बेमतलब है। क्योंकि इन सरकारों से न्याय की उम्मीद नहीं की जा सकती। अब आप समझ गए होंगे कि आपके बच्चों कि महाराष्ट्र में क्यों स्कूल फीस माफ नहीं हो रही है?

Report by : Rajesh Soni

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