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Mahakumbh 2025 : “हिम्मत है तो भागवत से पूछो” राउत का शिंदे पर पलटवार

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Mahakumbh 2025 : "हिम्मत है तो भागवत से पूछो" राउत का शिंदे पर पलटवार

Mahakumbh 2025 : महाराष्ट्र की सियासत में एक बार फिर जुबानी जंग तेज हो गई है। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के प्रमुख उद्धव ठाकरे के महाकुंभ में न जाने को लेकर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट ने सवाल उठाए, तो शिवसेना (उद्धव गुट) के नेता संजय राउत ने ऐसा जवाब दिया, जिसने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी। राउत ने दो टूक कहा, “अगर इतनी ही हिम्मत है, तो जाकर मोहन भागवत से पूछो कि वो महाकुंभ क्यों नहीं गए।”(Mahakumbh)

महाकुंभ हिंदू धर्म का सबसे बड़ा आयोजन है, जहां देशभर से श्रद्धालु जुटते हैं। नेताओं की उपस्थिति को अक्सर उनकी धार्मिक आस्था और हिंदुत्व से जोड़ा जाता है। एकनाथ शिंदे और उनके समर्थकों ने ठाकरे की अनुपस्थिति पर सवाल उठाते हुए इसे “हिंदुत्व से दूरी” करार दिया। उन्होंने दावा किया कि “बालासाहेब की शिवसेना कभी महाकुंभ से दूर नहीं रहती।”

लेकिन राउत ने शिंदे गुट की इस राजनीति पर सीधा वार करते हुए कहा, “महाकुंभ में जाना या न जाना, किसी की व्यक्तिगत आस्था का विषय है। क्या मोहन भागवत या बीजेपी के तमाम नेता वहां पहुंचे थे? क्या वो कम हिंदू हैं?”(Mahakumbh)

संजय राउत ने शिंदे गुट पर तीखा हमला बोलते हुए कहा, “हमारे हिंदुत्व को प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं है। बालासाहेब ठाकरे का हिंदुत्व धर्म की रक्षा के साथ न्याय और साहस का प्रतीक था। वो हिंदुत्व कभी राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल नहीं किया गया।”

उन्होंने आगे कहा, “आज जो लोग सत्ता के लिए हिंदुत्व की माला जप रहे हैं, वही कल तक धर्म के नाम पर नफरत फैलाने का काम कर रहे थे। क्या हिंदुत्व का मतलब सिर्फ बड़े आयोजनों में दिखना है? या फिर समाज की भलाई के लिए खड़े होना?”

एकनाथ शिंदे ने बगावत के बाद से खुद को “बालासाहेब की असली विरासत” का झंडाबरदार बताने की कोशिश की है। लेकिन हर बार उद्धव ठाकरे और उनके सहयोगी इस दावे को “सत्ता के लिए बनाया गया झूठा नैरेटिव” बताते रहे हैं।

संजय राउत ने कहा, “जो लोग कल तक बीजेपी के खिलाफ थे, वो आज उनके साथ सिर्फ कुर्सी के लिए बैठे हैं। अब वही लोग हमें हिंदुत्व सिखा रहे हैं। बालासाहेब का हिंदुत्व कभी सत्ता के लिए समझौता करने वाला नहीं था।”

राउत ने अपनी बात को और धार देते हुए कहा, “अगर किसी धार्मिक आयोजन में न जाने से कोई हिंदू विरोधी हो जाता है, तो पहले जाकर मोहन भागवत से पूछिए। वो क्यों नहीं गए?”

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