पुणे पुस्तक महोत्सव में भाजपा नेता विनोद तावड़े ने महाराष्ट्र के राजनीतिक परिदृश्य पर चिंता व्यक्त की। तावड़े ने कहा कि आज के समय में महाराष्ट्र की राजनीति में “हेल्दी रिलेशन” अब देखने को नहीं मिलते। पहले बाळासाहेब ठाकरे और शरद पवार एक-दूसरे पर आलोचना करते थे, लेकिन फिर भी पारिवारिक और सामाजिक संबंधों में सहयोग और सम्मान दिखता था। (Maharashtra News)
तावड़े ने बाळासाहेब ठाकरे और शरद पवार के समय की राजनीतिक संस्कृति की याद दिलाई और अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व और साहित्यिक योगदान की भी सराहना की। उन्होंने बताया कि उस दौर में राजनीतिक मतभेद होते हुए भी मानवीय रिश्तों और सम्मान को महत्व दिया जाता था। (Maharashtra News)
यह टिप्पणी उन्होंने मोरया प्रकाशन द्वारा मेधा किरीट की पुस्तक ‘अटलजी व्रतस्थ याज्ञिक’ के प्रकाशन के अवसर पर की। कार्यक्रम में एनबीटी के अध्यक्ष मिलिंद मराठे, पुणे पुस्तक महोत्सव के मुख्य संयोजक राजेश पांडे और मोरया प्रकाशन के कौस्तुभ देव भी मौजूद थे।
तावड़े ने कहा कि पुणे पुस्तक महोत्सव इतना भव्य और प्रतिष्ठित बन सकता है, यह पहले कल्पना से परे था। वे स्वयं राज्य के सांस्कृतिक और शिक्षा मंत्री रहे हैं और पिछले दो वर्षों में महोत्सव को प्रतिष्ठा मिली है, इसमें पुणेकरों का योगदान महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह भी कहा कि पहले साहित्यिक कार्यक्रमों में लोग ज्यादा नहीं पढ़ते थे, लेकिन अब वाचक पुस्तकों के प्रति रुचि रखते हैं और पुस्तकों को लोगों तक पहुंचाना जरूरी है।
तावड़े की इस टिप्पणी से राजनीति में आदर्श और आज की राजनीतिक स्थिति पर चर्चा शुरू हो गई है। उन्होंने पुणेकरों से आग्रह किया कि वे साहित्यिक कार्यक्रमों और पुस्तकों को समर्थन दें। (Maharashtra News)
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