महाराष्ट्र में 20 से अधिक नगरपालिकाओं के नगराध्यक्ष पद और करीब 150 प्रभागों के नगरसेवक पदों के चुनाव अचानक स्थगित कर दिए गए, जिसके कारण राजनीतिक हलकों में भारी नाराज़गी और निराशा फैल गई। मतदान से ठीक एक दिन पहले चुनाव आयोग द्वारा यह निर्णय घोषित किए जाने से उम्मीदवारों, कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेताओं में भ्रम की स्थिती पैदा हो गई। कई जगह पर राजनीतिक पार्टियों ने इसे प्रशासनिक विफलता बताते हुए सरकार और आयोग पर प्रश्नचिह्न उठाए। कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने भी इस निर्णय की कड़ी आलोचना की और राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया। (Maharashtra)
निर्वाचन आयोग का स्पष्टीकरण
राज्य चुनाव आयोग ने इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि कुछ महत्वपूर्ण कानूनी पहलुओं और न्यायालय में लंबित अपीलों को देखते हुए ही यह निर्णय लिया गया। आयोग के सूत्रों के अनुसार 17(1)(ब) प्रावधान के तहत जब कोई उम्मीदवार अदालत में अपील करता है, तब उसे अपना नामांकन वापस लेने के लिए निर्धारित समय देना आवश्यक होता है। अगर यह प्रक्रिया पूरी नहीं की जाती, तो पूरी चुनाव प्रक्रिया पर असर पड़ सकता था और व्यापक रूप से चुनाव रद्द करने जैसी स्थिति बन सकती थी। इसी वजह से केवल चुनिंदा 24 नगरपालिकाओं के चुनाव स्थगित किए गए हैं।
नई मतदान तिथि और प्रक्रिया
स्थगित किए गए चुनाव अब 20 दिसंबर को आयोजित किए जाएंगे। आयोग ने बताया कि जिन चुनावों को आगे बढ़ाया गया है, उन्हें नियम ‘क’ और ‘ड’ के अनुसार पर्याप्त समय दिया गया है। इसके साथ ही नगराध्यक्ष और लगभग 150 नगरसेवक पदों के प्रचार खर्च को लेकर भी आयोग निर्णय ले रहा है, जिसके लिए आज राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक संपन्न हुई। (Maharashtra)
नगराध्यक्ष पद सीधे जनता द्वारा चुने जाएंगे, इसलिए संबंधित स्थानों पर केवल एक बार मतदान होगा। लेकिन जिन प्रभागों में चुनाव स्थगित किए गए हैं, वहां दूसरी बार मतदान प्रक्रिया आयोजित की जाएगी।
नए नामांकन स्वीकार नहीं होंगे
चुनाव स्थगित किए गए प्रभागों के 24 चुनाव अधिकारियों से विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है और कारण बताओ नोटिस भी जारी किए गए हैं। आयोग ने स्पष्ट किया है कि स्थगित चुनावों में नए उम्मीदवार नामांकन दाखिल नहीं कर सकेंगे; केवल पहले से दाखिल नाम वापसी की अनुमति होगी। चिन्हों का आवंटन आवश्यकतानुसार पुनः किया जाएगा।
इस निर्णय ने राज्य में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी है, जबकि आयोग का दावा है कि पूरा निर्णय कानून और प्रक्रिया के अनुरूप ही लिया गया है। (Maharashtra)
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