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MHADA intervention: मुंबई में 388 पुरानी इमारतों का पुनर्विकास

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MHADA intervention: मुंबई में 388 पुरानी इमारतों का पुनर्विकास

मुंबई के दक्षिणी हिस्सों में स्थित 388 पुराने और जर्जर MHADA भवनों के पुनर्विकास की लंबे समय से रुकी योजना को अब नई दिशा मिल सकती है। निजी डेवलपर्स की असमर्थता और निवासी समूहों में मतभेद के कारण इस परियोजना में वर्षों से गति नहीं आ पाई थी। अब राज्य आवास प्राधिकरण MHADA ने स्वयं कदम उठाने का निर्णय लिया है, जिससे 27,000 से अधिक परिवारों को लाभ मिलने की संभावना है। (MHADA intervention)

ये जर्जर भवन दक्षिण मुंबई के प्रमुख इलाकों जैसे कोलाबा, गिरगांव, मुंबादेवी, बायकुल्ला, सेवरी, प्रभादेवी और महिम में स्थित हैं। हर इमारत में आमतौर पर 80 से 100 छोटे फ्लैट होते हैं, जिनका आकार 100 से 200 वर्ग फुट के बीच होता है।

इन भवनों का पिछला पुनर्निर्माण तीन से चार दशकों पहले MHADA द्वारा किया गया था, जब लगभग 900 पुराने ढांचों को बदलकर नई इमारतें बनाई गई थीं। अब ये भवन फिर से संरचनात्मक समस्याओं का सामना कर रहे हैं, लेकिन उनके छोटे प्लॉट आकार (लगभग 400 से 600 वर्ग मीटर) के कारण निजी डेवलपर्स के लिए आर्थिक रूप से पुनर्विकास करना व्यावहारिक नहीं रह गया है।

कई बार निवासी समितियों ने सन्निहित भवनों को मिलाकर बड़े भूखंड बनाने का प्रयास किया, ताकि निजी डेवलपर्स को आकर्षित किया जा सके, लेकिन लगातार मतभेदों और असहमति के कारण ये प्रयास विफल रहे। ऐसे में जब निजी पुनर्विकास बाधित हो गया, तो MHADA संघर्ष क्रुति समिति ने राज्य प्राधिकरण से हस्तक्षेप की मांग की।

MHADA ने स्पष्ट किया है कि यदि निवासी समूह संयुक्त प्रस्ताव पास करते हैं, तो प्राधिकरण इन परियोजनाओं को खुद संभाल सकता है। इस पहल से क्लस्टर-शैली पुनर्विकास की संभावना भी बन सकती है, जिसमें छोटे भूखंडों को मिलाकर अधिक प्रभावी और सुरक्षित आवासीय परिसर बनाया जा सके।

इस कदम से न केवल भवनों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि निवासियों को आधुनिक और सुविधाजनक आवास उपलब्ध कराए जाने की राह भी खुलेगी। MHADA अधिकारियों का कहना है कि उनके हस्तक्षेप से परियोजनाओं की गति बढ़ेगी और लंबे समय से रुके पुनर्विकास कार्य को गति मिलेगी।

विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह का सार्वजनिक क्षेत्र पुनर्विकास मॉडल उन स्थितियों में कारगर साबित हो सकता है, जहां निजी निवेशक आर्थिक या सामाजिक कारणों से परियोजनाओं को पूरा नहीं कर पाते। इससे न केवल पुराने भवनों का जीवनकाल बढ़ेगा, बल्कि शहर में आवासीय ढांचे का नियोजित विकास भी संभव होगा। (MHADA intervention)

इस प्रकार, MHADA का कदम दक्षिण मुंबई के 27,000 से अधिक परिवारों के लिए राहत की खबर है। छोटे भूखंडों और निवासियों की असहमति के बावजूद अब उम्मीद है कि इन पुराने और जर्जर भवनों का पुनर्विकास सुरक्षित, व्यवस्थित और आधुनिक तरीके से किया जा सकेगा। (MHADA intervention)

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