मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर
लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया
मेट्रो मुम्बई (Metro Mumbai) ने ऐसे ही मुम्बई में अकेले ही मिशन मिल्क की शुरूआत की थी। फिर लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया ।
पहले मेट्रो मुम्बई के एसोशिएट डाइरेक्टर निखिल मोरसावाला,फिर किसान नेता राम कुमार पॉल मिशन मिल्क का हिस्सा बने।
फिर उत्तर मुम्बई के भाजपा सांसद गोपाल शेट्टी और शिवसेना विधायक प्रकाश सुर्वे मिशन मिल्क से जुड़े।सबका मकसद सिर्फ इतना था,कोरोना काल में जरूरतमंद दूध पीते बच्चों भूखा ना सोना पड़े।
देखते देखते मिशन मिल्क मुम्बई में इस कदर लोकप्रिय हुई कि मुम्बई का हर आम और खास इस मुहिम का हिस्सा बनने लगा। यही वजह है सांसद गोपाल शेट्टी से लेकर मामूली ऑटो वाला राकेश नायक भी इस मुहिम का हिस्सा बना ।
वक्त के साथ मिशन मिल्क की चर्चा लाखों मुंबईकरों तक पहुचीं । फिर महाराष्ट्र (Maharashtra) और देश भर में मिशन मिल्क (Milk) का आगाज होने लगा । नतीजा मुम्बई और महाराष्ट्र के बाहर प. बंगाल में भी मेट्रो मुम्बई की परिकल्पना सराही गई। ना केवल सराही गई बल्कि कोलकाता पुलिस ने तो गरीब बच्चों को दूध बांटना भी शुरू कर दिया है । सही गरीब बच्चों को उनके हिस्से का दूध (Milk) मिलना ही चाहिए। फिर चाहे वह सरकार दे, पुलिस दे या फिर मेट्रो मुम्बई की तरह कोई भी इसे शुरू करे। मकसद सिर्फ और सिर्फ दूध पीते बच्चों की जिंदगी बचाना है ।
Report by : Hitender Pawar
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