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Mumbai Municipal Corporation Elections 2025: आरक्षण लॉटरी से मचा राजनीतिक भूचाल, दिग्गज नेताओं के पत्ते कटे, अब कौन कहाँ से लड़ेगा चुनाव?

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Mumbai Municipal Corporation Elections 2025: आरक्षण लॉटरी से मचा राजनीतिक भूचाल, दिग्गज नेताओं के पत्ते कटे, अब कौन कहाँ से लड़ेगा चुनाव?

[7:07 pm, 11/11/2025] Geeta Madam Metro Mobile: मुंबई: बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) चुनाव 2025 से पहले घोषित की गई आरक्षण लॉटरी ने मुंबई की राजनीति में हलचल मचा दी है। कुल 227 वार्डों में से 114 वार्ड महिलाओं के लिए और 61 वार्ड ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षित किए गए हैं। इस घोषणा के बाद सत्ताधारी और विपक्ष दोनों खेमों में हड़कंप मच गया है, क्योंकि कई बड़े नेताओं के वार्ड अब आरक्षित श्रेणी में चले गए हैं।

आरक्षण की पूरी तस्वीर (Mumbai Municipal Corporation Elections 2025)

मुंबई महानगरपालिका के 227 वार्डों में से इस बार कुल 78 वार्ड आरक्षित वर्गों के लिए तय किए गए हैं। इनमें 15 वार्ड अनुसूचित जाति (SC), 2 वार्ड अनुसूचित जनजाति (ST) और 61 वार्ड ओबीसी (OBC) वर्ग के लिए निर्धारित किए गए हैं। इसके अलावा, 50 प्रतिशत यानी 114 वार्ड महिलाओं के लिए आरक्षित किए गए हैं, जिसमें सभी श्रेणियों की महिलाएँ शामिल हैं।

यह आरक्षण प्रक्रिया मंगलवार को पूरी की गई और जैसे ही इसकी सूची सार्वजनिक हुई, राजनीतिक गलियारों में तीखी प्रतिक्रियाएँ शुरू हो गईं। (Mumbai Municipal Corporation Elections 2025)

दिग्गज नेताओं को बड़ा झटका

आरक्षण की इस नई लॉटरी का सबसे अधिक असर उन नेताओं पर पड़ा है जो वर्षों से अपने वार्डों से चुनाव जीतते आ रहे थे।

शिवसेना (उद्धव गुट) की पूर्व नगरसेविका तेजस्विनी घोसालकर (वार्ड 1) का वार्ड ओबीसी महिला वर्ग के लिए आरक्षित हुआ है।

भाजपा नेता किरीट सोमैया के बेटे नील सोमैया (वार्ड 108) का वार्ड भी ओबीसी महिला वर्ग में चला गया है।

ठाकरे गुट के वरली के नेता आशीष चेंबुरकर (वार्ड 196) और घाटकोपर के सुरेश पाटिल (वार्ड 127) का वार्ड सामान्य महिला वर्ग के लिए आरक्षित हुआ है।

मुंबई की पूर्व महापौर और ठाकरे गुट की वरिष्ठ नेत्री स्नेहल आंबेकर (वार्ड 198) का वार्ड भी ओबीसी महिला वर्ग के लिए आरक्षित किया गया है।

शिंदे गुट के नेता और पूर्व स्थायी समिति अध्यक्ष यशवंत जाधव (वार्ड 209) को भी झटका लगा है, क्योंकि उनका वार्ड सामान्य महिला वर्ग में आरक्षित हो गया है।

वहीं, भाजपा के मकरंद नार्वेकर (वार्ड 227) और कांग्रेस के पूर्व विपक्ष नेता रवी राजा (वार्ड 176) के वार्ड भी क्रमशः सामान्य और ओबीसी महिला वर्ग के लिए आरक्षित हुए हैं।

राजनीतिक समीकरणों में बदलाव

इस आरक्षण के बाद सभी प्रमुख दल — शिवसेना (दोनों गुट), भाजपा, कांग्रेस, एनसीपी और मनसे — अपने उम्मीदवारों की रणनीति नए सिरे से बनाने में जुट गए हैं। कई नेताओं को अब नए वार्ड की तलाश करनी होगी, जबकि कुछ दिग्गज अब अपनी पत्नी या बेटियों को चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी में हैं, ताकि परिवार की राजनीतिक विरासत बनी रहे।

विपक्ष और सत्ताधारी दोनों में हलचल

यह लॉटरी केवल एक प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं रही, बल्कि इसने चुनावी समीकरणों को पूरी तरह बदल दिया है। जहां कुछ नेताओं ने इस आरक्षण को “महिला सशक्तिकरण का कदम” बताया है, वहीं कई वरिष्ठ नेताओं ने इसे “राजनीतिक झटका” कहा है। (Mumbai Municipal Corporation Elections 2025)

निष्कर्ष

मुंबई नगर निगम की आरक्षण लॉटरी ने यह साफ कर दिया है कि आने वाला चुनाव बेहद दिलचस्प और चुनौतीपूर्ण होगा। अनेक पुराने और प्रभावशाली नेता अपने परंपरागत वार्डों से चुनाव नहीं लड़ पाएंगे, जिससे नए चेहरों को मौका मिलने की संभावना बढ़ी है। राजनीतिक दल अब नए गणित के साथ मैदान में उतरेंगे और इस बार मुंबई की सत्ता की जंग पहले से ज्यादा रोमांचक होगी।
[7:17 pm, 11/11/2025] Geeta Madam Metro Mobile: मुंबई में ट्रैफिक जाम से राहत की नई पहल: परिवहन मंत्री प्रताप सरनाईक ने दहिसर टोल नाके पर एआई-आधारित टोल प्रणाली का प्रस्ताव रखा

मुंबई: मुंबई के उत्तरी प्रवेश द्वार यानी दहिसर टोल नाका पर रोजाना लगने वाले भारी ट्रैफिक जाम और बढ़ते प्रदूषण से निपटने के लिए महाराष्ट्र के परिवहन मंत्री प्रताप सरनाईक ने मंगलवार को एक नई तकनीकी पहल का प्रस्ताव रखा है। उन्होंने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आधारित टोल वसूली प्रणाली लागू करने का सुझाव दिया है, जो वर्तमान में चल रही मैनुअल और अर्ध-स्वचालित प्रणाली की जगह लेगी।

मंत्रालय (मंत्रालय भवन, मुंबई) में आयोजित एक उच्चस्तरीय बैठक में सरनाईक ने संबंधित विभागों को निर्देश दिया कि वे एआई-आधारित टोलिंग तकनीक के कार्यान्वयन के लिए विस्तृत प्रस्ताव तैयार करें।

रोजाना लगने वाले ट्रैफिक जाम से नागरिक परेशान

मंत्री सरनाईक ने बैठक में कहा, “दहिसर टोल नाका पर हर दिन भारी ट्रैफिक जाम लगता है, जिससे एम्बुलेंस, स्कूल बसें और आवश्यक सेवाओं को भी देर होती है। इससे न केवल समय की बर्बादी होती है बल्कि वायु प्रदूषण भी तेजी से बढ़ता है।”

इस बैठक में कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे, जिनमें एसीपी अनिल कुम्भारे (मुंबई पुलिस), अतिरिक्त पुलिस आयुक्त दत्तात्रय शिंदे (मीरा-भायंदर), एनएचएआई के प्राधिकरण निदेशक अंशुमाली श्रीवास्तव, प्रोजेक्ट डायरेक्टर सुहास चिटनिस, एमईपी इन्फ्रास्ट्रक्चर के एमडी जयंत म्हैसकर, बीएमसी के सहायक आयुक्त एन.के. वेङगुर्लेकर और मीरा-भायंदर के सिटी इंजीनियर दीपक खांबित शामिल थे।

पहले भी स्थानांतरित करने की योजना बनी थी

मंत्री सरनाईक ने बताया कि इससे पहले उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने दहिसर टोल नाका को स्थानांतरित करने का निर्णय लिया था ताकि जाम की समस्या से राहत मिले। लेकिन स्थानीय नागरिकों के विरोध के कारण यह योजना रोक दी गई थी।

उन्होंने कहा, “निवासियों की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए, फिलहाल हम टोल नाके को यथास्थान रखेंगे। लेकिन एआई-आधारित टोल प्रणाली को एक अंतरिम समाधान के रूप में लागू किया जाएगा। इससे ट्रैफिक नियंत्रण आसान होगा और भविष्य में टोल नाके को पूरी तरह हटाने का रास्ता खुलेगा।”

एआई तकनीक से टोल वसूली का तरीका

प्रस्तावित एआई प्रणाली के तहत कैमरे स्वतः वाहन की नंबर प्लेट स्कैन करेंगे, भुगतान की पुष्टि करेंगे और रीयल-टाइम में टोल प्रोसेस करेंगे। इससे न केवल गाड़ियों की लंबी कतारें खत्म होंगी, बल्कि मानव हस्तक्षेप भी न्यूनतम रहेगा।

यह प्रणाली “फास्टटैग” जैसी आधुनिक तकनीक से जुड़कर काम करेगी, लेकिन और अधिक स्मार्ट और तेज़ होगी। इसका उद्देश्य है कि गाड़ियाँ बिना रुके टोल पार कर सकें, जिससे प्रदूषण, ईंधन की बर्बादी और समय की हानि में बड़ी कमी आए।

एकीकृत टोल भुगतान की अवधारणा

मंत्री सरनाईक ने यह भी प्रस्ताव दिया कि एक एकीकृत टोल भुगतान मॉडल लागू किया जाए, जिसमें यात्रियों को दो टोल बिंदुओं का भुगतान एक ही स्थान पर करने की सुविधा मिले। इससे वाहनों को दो बार रुकने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी और ट्रैफिक जाम में उल्लेखनीय कमी आएगी।

नागरिकों को बड़ी राहत की उम्मीद

अगर यह एआई-आधारित प्रणाली लागू होती है, तो मुंबई-दहिसर क्षेत्र में ट्रैफिक की स्थिति में बड़ा सुधार देखा जा सकता है। यह कदम महाराष्ट्र में स्मार्ट इंफ्रास्ट्रक्चर की दिशा में एक और महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है।

परिवहन विभाग का कहना है कि विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार होने के बाद इस योजना को राज्य सरकार की स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा। उम्मीद है कि यह तकनीक अगले कुछ महीनों में परीक्षण के रूप में लागू की जाएगी।

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