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मुंबईवासी सावधान रहें! पिछले 4 वर्षों में वायु गुणवत्ता 22 प्रतिशत खराब हो गई है

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Mumbaikars : मुंबई, जो अपने समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और तेज़ जीवनशैली के लिए प्रसिद्ध है, इन दिनों एक गंभीर पर्यावरणीय संकट का सामना कर रही है। पिछले चार वर्षों में मुंबई की वायु गुणवत्ता में 22 प्रतिशत की गिरावट आई है, और इसका मुख्य कारण दिवाली के दौरान पटाखे जलाना है। विशेष रूप से पीएम 2.5 (पार्टिकुलेट मैटर) के स्तर में 50.3 प्रतिशत की वृद्धि ने शहरवासियों को चिंता में डाल दिया है। ये छोटे कण (PM2.5) हवा में घुलकर श्वसन प्रणाली और दिल से संबंधित बीमारियों का कारण बन सकते हैं।

दिवाली के समय पटाखे जलाने से भारत के विभिन्न शहरों में वायु गुणवत्ता में तेज़ी से गिरावट आती है। मुंबई भी इस स्थिति से अछूता नहीं है। पटाखों से निकलने वाली गैसों और धुएं में सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड्स, और अन्य हानिकारक तत्व शामिल होते हैं, जो वायु प्रदूषण के स्तर को बढ़ा देते हैं। विशेषकर मुंबई जैसे बड़े शहरों में जहां पहले से ही प्रदूषण की समस्या है, दिवाली के दौरान प्रदूषण का स्तर असहनीय हो जाता है। ( Mumbaikars )

मुंबई के वायु गुणवत्ता इंडेक्स (AQI) में पिछले चार वर्षों में लगातार गिरावट आई है। विशेषज्ञों के अनुसार, वायु प्रदूषण के बढ़ने के प्रमुख कारणों में बढ़ती जनसंख्या, वाहनों की संख्या में वृद्धि, औद्योगिकीकरण, और खासकर दिवाली के समय पटाखों का अधिक मात्रा में जलना शामिल हैं। यह सिर्फ पर्यावरण के लिए हानिकारक नहीं है, बल्कि स्वास्थ्य के लिहाज से भी बहुत खतरनाक है। मुंबईवासियों को श्वसन और हृदय संबंधी बीमारियों का सामना बढ़ता जा रहा है, खासकर उन लोगों को जो पहले से ही अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, और दिल की बीमारियों से जूझ रहे हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि दिवाली के दौरान पटाखों से निकलने वाले प्रदूषक तत्वों का असर लंबे समय तक रहता है। इनमें से कई तत्व हवा में महीनों तक बने रहते हैं, जिससे लगातार प्रदूषण बढ़ता रहता है। इसी कारण दिवाली के बाद प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ने लगता है और यह स्थिति धीरे-धीरे गंभीर होती जाती है। जब तक प्रदूषण की यह स्थिति नियंत्रण में नहीं आती, तब तक शहरी जीवन पर इसका प्रभाव बना रहता है। (Mumbaikars)

मुंबईवासियों को वायु प्रदूषण से बचने के लिए कुछ कदम उठाने होंगे। सबसे पहले, पटाखों का कम से कम उपयोग करना और पर्यावरण के अनुकूल पटाखों का चयन करना बेहद जरूरी है। इसके अलावा, सरकार और नगर निगम को भी प्रदूषण नियंत्रण के लिए सख्त कदम उठाने होंगे, जैसे कि वाहनों की प्रदूषण जांच, कारखानों के प्रदूषण स्तर पर नियंत्रण, और सार्वजनिक परिवहन के इस्तेमाल को बढ़ावा देना। मुंबई जैसे बड़े शहरों में इस समस्या को हल करने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है, ताकि आने वाले वर्षों में वायु गुणवत्ता को बेहतर किया जा सके और नागरिकों को स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण में सांस लेने का अवसर मिल सके।

 

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