मुंबई और अन्य शहरों की सड़कों की खराब हालत के मुद्दे पर महाराष्ट्र उच्च न्यायालय ने कड़ी चेतावनी जारी की है। न्यायालय ने कहा है कि नगर निगमों को न सिर्फ सड़कों को गड्ढों से मुक्त और सुरक्षित बनाना होगा, बल्कि अगर किसी की जान या संपत्ति को नुकसान होता है, तो प्रभावित लोगों को मुआवजा देने की जिम्मेदारी भी नगर निगमों की होगी। (Municipalities)
हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि सड़कें जनता के लिए सुरक्षित होना प्राथमिक कर्तव्य है। न्यायालय ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे सड़कों की मरम्मत और रख-रखाव में कोई देरी न करें। न्यायालय ने कहा कि अगर नगर निगम इस आदेश का पालन नहीं करता है, तो कानूनी कार्रवाई और व्यक्तिगत जिम्मेदारी तय की जाएगी।
विशेष रूप से मुंबई में भारी बारिश के दौरान सड़कों पर गड्ढे और जलभराव की स्थिति आम हो गई है। इससे लोगों को भारी परेशानी और दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि नागरिकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, नगर निगम सड़क निर्माण और मरम्मत के कामों में पारदर्शिता और समयबद्धता सुनिश्चित करें।
हाईकोर्ट ने आदेश में यह भी कहा कि अगर किसी दुर्घटना में कोई नागरिक घायल होता है या वाहन को नुकसान होता है, तो नगर निगम को संबंधित व्यक्ति को उचित मुआवजा देना अनिवार्य होगा। न्यायालय ने इस आदेश के पालन की समीक्षा के लिए एक निगरानी समिति बनाने की संभावना जताई है।
इस चेतावनी के बाद नगर निगमों पर अब दबाव बढ़ गया है। अधिकारी कह रहे हैं कि वे जल्द से जल्द सड़क मरम्मत के कार्यों को प्राथमिकता देंगे और जनता को सुरक्षित सड़कें उपलब्ध कराने के लिए कदम उठाएंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम नागरिकों की सुरक्षा और शहरों में यातायात सुगमता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। (Municipalities)
यह फैसला महाराष्ट्र के सभी नगर निगमों के लिए एक सख्त संदेश है कि सड़क सुरक्षा और नागरिक मुआवजा प्राथमिकता का विषय होना चाहिए। (Municipalities)
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