Nagpur Violence Cases : औरंगजेब कब्र विवाद के बाद नागपुर में हिंसा भड़क उठी, जिसके चलते शहर में तनाव फैल गया। रविवार रात को हुई इस घटना के बाद सोमवार सुबह नागपुर नगर निगम (NMC) ने बड़ी कार्रवाई की। बुलडोजर दो इलाकों में पहुंचे और उन दो घरों को पूरी तरह से तोड़ दिया, जिनके मालिकों पर 17 मार्च की रात हुए दंगों में शामिल होने का शक था। इनमें से एक मकान नागपुर हिंसा के मास्टरमाइंड माने जा रहे फहीम खान का था।
इस कार्रवाई के दौरान इलाके को पूरी तरह घेर लिया गया था। 150 से अधिक पुलिसकर्मी और दंगा रोकने वाली टीमें तैनात थीं, ताकि किसी भी अप्रिय घटना को रोका जा सके। हालांकि, इसी दौरान बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने दंगों के आरोपियों के घरों को तोड़ने पर रोक लगाने का आदेश दिया। कोर्ट का यह आदेश तब आया जब घरों को ढहाने की प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी थी। (Nagpur Violence Cases )
कोर्ट ने इस कार्रवाई को तानाशाही करार दिया और महाराष्ट्र सरकार पर जबरदस्ती करने का आरोप लगाया। अदालत ने कहा कि सरकार ने कानून का पालन किए बिना यह कदम उठाया, जो असंवैधानिक है। इस मामले में कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई थीं, जिनमें NMC की इस कार्रवाई को अवैध करार दिया गया था। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही इस तरह की कार्रवाई पर रोक लगा चुका है और किसी पर आरोप लगने मात्र से उसके घर को नहीं गिराया जा सकता।
नागपुर हिंसा के बाद प्रशासन ने स्थिति पर नियंत्रण पाने के लिए कई सख्त कदम उठाए। सरकारी अधिकारियों का कहना है कि बुलडोजर से और भी कई अवैध इमारतें तोड़ी जाएंगी। हालांकि, कोर्ट के आदेश के बाद अब इस तरह की कार्रवाई पर रोक लग गई है। (Nagpur Violence Cases )
बुलडोजर कार्रवाई पर राजनीतिक बयानबाजी भी तेज हो गई है। विपक्षी दलों ने इसे सरकार की मनमानी करार दिया, जबकि प्रशासन ने इसे अवैध निर्माण हटाने की प्रक्रिया बताया। इस मामले में आगे क्या होगा, यह कोर्ट के आगामी फैसलों पर निर्भर करेगा।
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