महाराष्ट्र के नंदुरबार जिले से एक बेहद शर्मनाक और झकझोर देने वाली घटना सामने आई है, जिसने राज्य की शैक्षणिक और प्रशासनिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यहां एक शासकीय आदिवासी आश्रम शाला में आठवीं कक्षा में पढ़ने वाली एक छात्रा के साथ स्कूल के ही मुख्याध्यापक द्वारा गंभीर अपराध किए जाने का आरोप लगा है। (Nandurbar)
प्राप्त जानकारी के अनुसार, आरोपी ने छात्रा को धमकाकर लंबे समय तक चुप रहने के लिए मजबूर किया। डर और दबाव के कारण पीड़िता काफी समय तक किसी को कुछ नहीं बता सकी। आखिरकार, छात्रा ने साहस जुटाकर अपने माता-पिता को पूरी घटना की जानकारी दी। इसके बाद परिवार ने धडगांव पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई।
पुलिस ने इस मामले में शासकीय आश्रम शाला तलाई के मुख्याध्यापक रायसिंग वसावे और छात्रावास की व्यवस्थापिका मालती पाडवी के खिलाफ गंभीर धाराओं में केस दर्ज कर लिया है। पुलिस अधिकारियों के अनुसार, मामले की जांच शुरू कर दी गई है और सभी पहलुओं की गहराई से पड़ताल की जा रही है। पीड़िता को आवश्यक सुरक्षा और सहयोग देने का आश्वासन भी दिया गया है।
इस घटना के सामने आने के बाद आदिवासी संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं में भारी आक्रोश देखा जा रहा है। संगठनों ने आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी और कड़ी सजा की मांग की है। उनका कहना है कि जिन संस्थानों पर बच्चों की सुरक्षा और भविष्य की जिम्मेदारी होती है, वहीं इस तरह की घटनाएं होना बेहद गंभीर और चिंताजनक है। साथ ही, आश्रम शालाओं में पढ़ने वाली छात्राओं की सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।
इसी बीच, महाराष्ट्र के भंडारा जिले के मोहाडी नगर से भी एक और चिंता बढ़ाने वाली खबर सामने आई है। यहां स्थित प्रतियोगी परीक्षा मार्गदर्शन एवं अध्ययन केंद्र के आसपास फैली गंदगी और दुर्गंध के कारण छात्रों का स्वास्थ्य खतरे में पड़ गया है। यह केंद्र नगरपंचायत द्वारा हुतात्मा स्मारक परिसर में संचालित किया जा रहा है।
छात्रों का आरोप है कि उसी परिसर में नगरपंचायत की कचरा गाड़ियां और अन्य वाहन धोए जाते हैं, जिससे वहां पानी जमा हो जाता है और बदबू फैलती है। इससे मच्छर और बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। नाराज छात्रों ने नगरपंचायत कार्यालय का घेराव कर साफ-सफाई और स्वच्छ वातावरण की मांग की। (Nandurbar)
इन दोनों घटनाओं ने प्रशासनिक लापरवाही और व्यवस्था की कमजोरियों को उजागर कर दिया है। अब जनता की नजर इस बात पर टिकी है कि संबंधित विभाग इन गंभीर मामलों में कितनी जल्दी और कितनी सख्ती से ठोस कदम उठाते हैं। (Nandurbar)
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