Nashik : महाराष्ट्र के नासिक में 2027 में होने वाले सिंहस्थ कुंभ मेले की तैयारियां मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के हालिया दौरे के बाद तेज हो गई हैं। इस आयोजन को सफल बनाने के लिए प्रशासन ने आवश्यक विकास कार्यों की योजना बनानी शुरू कर दी है। लेकिन मेले के नाम को लेकर त्र्यंबकेश्वर और नासिक के अखाड़ों के बीच मतभेद सामने आए हैं। त्र्यंबकेश्वर के संतों और अखाड़ों की मांग है कि इस मेले को ‘त्र्यंबकेश्वर-नासिक सिंहस्थ कुंभ मेला’ नाम दिया जाए, क्योंकि त्र्यंबकेश्वर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और इसका कुंभ मेले से गहरा धार्मिक संबंध है।
हालांकि, नासिक के अखाड़ों और धार्मिक संगठनों ने इस मांग का विरोध किया है। उनका कहना है कि यह आयोजन हमेशा से ‘नासिक कुंभ मेला’ के नाम से जाना जाता रहा है और इसे बदलने की कोई आवश्यकता नहीं है। हाल ही में नासिक नगर निगम में इस विषय पर चर्चा के लिए बैठक आयोजित की गई, जिसमें नासिक के संतों और अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि नाम बदलने से इस ऐतिहासिक मेले की पहचान पर असर पड़ सकता है। (Nashik )
सिंहस्थ कुंभ का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व
सिंहस्थ कुंभ मेला भारत के चार प्रमुख कुंभ मेलों में से एक है, जो हर 12 साल में गोदावरी नदी के तट पर आयोजित होता है। अन्य तीन कुंभ मेले प्रयागराज, हरिद्वार और उज्जैन में होते हैं। यह मेला लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है, जो पवित्र स्नान के लिए गोदावरी नदी और त्र्यंबकेश्वर मंदिर में एकत्र होते हैं। कुंभ मेले की परंपरा में विभिन्न अखाड़ों के संतों की पेशवाई और शाही स्नान महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
त्र्यंबकेश्वर और नासिक, दोनों ही इस धार्मिक आयोजन का अभिन्न हिस्सा हैं। त्र्यंबकेश्वर के संतों का मानना है कि मेले का केंद्र त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग है, इसलिए इसके नाम में त्र्यंबकेश्वर जोड़ा जाना चाहिए। वहीं, नासिक के धार्मिक संगठनों का तर्क है कि कुंभ मेले की मुख्य गतिविधियां नासिक में होती हैं, इसलिए पारंपरिक नाम ‘नासिक कुंभ मेला’ ही रखा जाना चाहिए।
महाराष्ट्र सरकार और नासिक नगर निगम प्रशासन इस विवाद को सुलझाने के लिए दोनों पक्षों के संतों और धार्मिक संगठनों से बातचीत कर रहे हैं। सरकार चाहती है कि कुंभ मेले की तैयारियां निर्बाध रूप से जारी रहें और आयोजन के दौरान किसी भी तरह का विवाद श्रद्धालुओं और अखाड़ों के बीच मतभेद न पैदा करे।
सरकार ने अभी तक इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन संभावना है कि दोनों पक्षों को बातचीत के जरिए एक सर्वमान्य समाधान तक पहुंचाया जाएगा। सिंहस्थ कुंभ न केवल धार्मिक बल्कि पर्यटन और आर्थिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण आयोजन है। लाखों श्रद्धालु और साधु-संत इस मेले में भाग लेने आते हैं, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलता है। (Nashik )
सिंहस्थ कुंभ 2027 की तैयारियां जोरों पर हैं, लेकिन इसके नाम को लेकर त्र्यंबकेश्वर और नासिक के अखाड़ों के बीच विवाद गहराता जा रहा है। त्र्यंबकेश्वर के संत चाहते हैं कि इसका नाम ‘त्र्यंबकेश्वर-नासिक सिंहस्थ कुंभ मेला’ रखा जाए, जबकि नासिक के अखाड़े पारंपरिक नाम ‘नासिक कुंभ मेला’ बनाए रखने की मांग कर रहे हैं। सरकार इस मुद्दे को हल करने के लिए दोनों पक्षों से चर्चा कर रही है ताकि कुंभ मेले की तैयारियों में कोई बाधा न आए और यह ऐतिहासिक आयोजन निर्विघ्न संपन्न हो सके।
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