एनसीपी नेता अजित पवार ने जुलाई में बगावत कर दी थी. इस बगावत के बाद पार्टी में अजित पवार और शरद पवार दो गुट बन गये. शरद पवार गुट अजित पवार गुट के लिए दुविधा पैदा करने की कोशिश कर रहा है. एक तरफ अजित पवार के गुट के 24 विधायकों को अयोग्य ठहराने की कार्रवाई की जा रही है तो दूसरी तरफ खुद शरद पवार पूरे राज्य में बैठकें कर रहे हैं. उनको जवाब देने के लिए अजित पवार जवाबी बैठक कर रहे हैं. जहां एनसीपी में राजनीति ऐसे ही चल रही है, वहीं रोहित पवार ने बिना नाम लिए अजित पवार पर निशाना साधा है.
उपमुख्यमंत्री अजित पवार कोल्हापुर जा रहे थे. इस मौके पर डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रतिनिधिमंडल ने उन्हें एक बयान दिया. इस बयान में उन्होंने मांग की कि सरकारी भर्तियां निजी कंपनियों के बजाय सरकार के माध्यम से की जानी चाहिए. इस पर बोलते हुए अजित पवार ने कहा कि सरकारी कर्मचारी अपनी सैलरी पर काफी पैसा खर्च करते हैं. एक निजी कंपनी के तीन कर्मचारी एक सरकारी कर्मचारी के वेतन पर काम करते हैं। राज्य का सालाना बजट साढ़े पांच से छह लाख करोड़ है. अजित पवार ने कहा था कि इस बजट में से 2 लाख 40 हजार करोड़ सिर्फ कर्मचारियों की सैलरी पर खर्च होते हैं.
रोहित पवार ने अजित पवार का नाम लिए बिना एक्स (पूर्व में ट्विटर) ट्वीट किया। राज्य के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि इसमें कहा गया है कि एक सरकारी कर्मचारी के वेतन के लिए तीन अनुबंध कर्मचारी काम करेंगे। उनकी बात सुनकर उनका रुख बदल गया. इसके बारे में सोच रहा हूँ. अगर यही फार्मूला एक विधायक, सांसद पर लागू किया जाए तो हजारों सरकारी कर्मचारी करोड़ों रुपये खर्च करके काम करेंगे।
सरकारी नौकरियों में छात्रों से सरकार हजारों करोड़ वसूल रही है. इसको लेकर रोहित पवार ने फिर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि सरकार परीक्षा शुल्क के माध्यम से हजारों करोड़ रुपये की वसूली कर रही है. तब से वे परीक्षाएं पारदर्शी नहीं हो पाईं. सरकारें निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए संविदा भर्ती के लिए जीआर जारी कर रही हैं।
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