भगवान कृष्ण ऐसे देवता है जिन्होंने अपने बाल रूप से ही तरह-तरह की लीलाएं दिखाना शुरू कर दिया था। बाल स्वरूप में उन्होंने जहां अधर्मियों को पढ़ाया वहीं माखन चोरी कर और मटकियां फोड़कर अपनी अटखेलिया से पूरे ब्रह्माण्ड के दिल में जगह बनाई। यशोदा के लाला कान्हा की मासूमियत की दिवानी बृज की हर बाला थी। भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इसी दिन हर साल जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है।
1. माखन
कृष्ण का नाम आता है माखन जरूर याद आता है। लोध गोपाल को माखन खाना अति प्रिय है, इसलिए जन्माष्टमी के दिन उन्हें माखन जरूर अर्पित करें।
2. मिश्री
भगवान कृष्ण को मिलाई गई माखन का भोग जीवन में सदैव बना रहता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, मैया यशोदा कान्हा को माखन में मिश्री मिलाकर खिलाती थी।
3. खीर
मुरलीधर श्री कृष्ण को चालव बेहद पसंद है। यशोदा मां कृष्ण जी को चावल से बनी खीर खिलाती थीं। तो अगर आप भी कान्हा की कृपा पाना चाहते हैं तो उन्हें जन्माष्टमी के दिन खीर का भोग जरूर लगाएं।
4. पंजीरी
जन्माष्टमी के दिन कृष्ण जी को धनिए से बनी पंजीरी का भोग अवश्य लगाएं। धनिया पंजीरी बनाने के लिए धनिया पाउडर, चीनी का बूरा, कटे बादाम, काजू, तेल, नारियल, घी, मखाना और इलायची पाउडर होता है।
5. खीरा
कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा में माखन-पंजीरी के अलावा खीरा का भी विशेष महत्व है, इसलिए शुभ फलों की प्राप्ति के लिए जन्माष्टमी की पूजा में खीरे को भी जरूर डालें।
6. पंचामृत
कृष्ण जी की पूजा में पंचामृत का भी खास महत्व है। कहते हैं कि पंचामृत के बिना जन्माष्टमी की पूजा होती है। पंचामृत बनाने के लिए दूध, दही, घी, गंगाजल और शहद और सार्वजनिक मिश्रण बनाएं। पंचमामृत और अन्य भोग में तुलसी डालना बिलकुल ना भूले ।
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