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क्यों लगातार बढ़ रही पेट्रोल-डीजल की कीमत, समझिए पूरा गणित

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हिंदुस्तान में पेट्रोल (Petrol) की कीमतों ने 100 रुपये (Rupees) का आंकड़ा पार कर दिया है। वहीं डीजल की कीमत भी शतक लगाने के करीब है। पेट्रोल-डीजल की लगातार बढ़ती कीमतों से आम आदमी बहुत ज्यादा परेशान है। एक तरफ लॉकडाउन के कारण लोगों के काम-धंधे लगभग ठप पड़ चुके है। और लोगों की कमाई भी बहुत कम हो गई है। वहीं दूसरी तरफ पेट्रोल-डीजल की कीमतें आसमान छू रही है।

देश में लगभग 700 जिले हैं, जिनमें से 128 जिलों में पेट्रोल की कीमत 100 के आंकड़े को क्रॉस कर चुकी है। इन जिलों में महाराष्ट्र के ज्यादातर जिले और बड़े शहर शामिल हैं। आज हम आपको पेट्रोल की कीमत के गणित को आसान शब्दों में समझाने वाले हैं। हम आपको बताएंगे पेट्रोल की कीमत देश और राज्यों में कैसे तय की जाती है। देश में पेट्रोल आता कैसे है? सबसे महत्त्वपूर्ण मुद्दा कि पेट्रोल-डीजल की कीमत लगातार क्यों बढ़ रही है? आज इन्हीं सभी प्रश्नों का जवाब में हम आपको आसान शब्दों में देने वाले हैं।

पहले आपको हम बताते हैं कि इस समय देश के विभिन्न क्षेत्रों में पेट्रोल की कीमत कितनी है? पेट्रोल की कीमत हर राज्य में अलग-अलग होती है। क्योंकि देश का हर एक राज्य अपने नीतियों के अनुसार पेट्रोल पर टैक्स लगाता है। इसका मतलब दिल्ली में जो पेट्रोल की कीमत है, वो महाराष्ट्र में भी समान होगी ऐसा बिल्कुल नहीं है।

वहीं महाराष्ट्र के महत्वपूर्ण शहरों में पेट्रोल-डीजल की कीमतों की क्या स्थिति पहले वह जान लेते हैं। वर्तमान समय में मुम्बई, पुणे, नाशिक,नागपुर और कोल्हापुर में पेट्रोल 100 रुपयों से ज्यादा की कीमत पर बिक रहा है। वहीं डीजल की कीमतें इन शहरों में 90 रुपयों को क्रॉस कर चुकी है। वहीं बात करें देश की तो, इस समय पेट्रोल की सबसे ज्यादा कीमत राजस्थान के गंगानगर जिले में है। इस जिले के आम आदमी को 1 लीटर पेट्रोल के लिए 105 रुपए चुकाने पड़ रहे हैं।

अब हम आपको समझाते है कि पेट्रोल-डीजल की कीमत तय होती कैसे है?पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर कितने प्रकार के टैक्स लगते हैं।

सऊदी अरब, ईरान और इराक जैसे खाड़ी देशों से भारत की तेल कंपनियां कच्चा तेल आयात करती है। यहां इस कच्चे तेल पर इम्पोर्ट ड्यूटी लगाई जाती है। विदेश से लाई जाने वाली किसी भी चीज पर इम्पोर्ट ड्यूटी लगती है।

अब भारत में कच्चा तेल आने के बाद उसे पहले ऑइल रिफाइनरी में भेजा जाता है। यहां उसे प्रोसेस किया जाता है। जिसके बाद उसे पेट्रोल, डीजल, केरोसिन और सीएनजी प्रोडक्ट्स के रूप में तब्दील किया जाता है।

रिफाइनरी से पेट्रोल-डीजल निकलने के बाद तेल कंपनियां केंद्र सरकार को एक्ससाइज ड्यूटी चुकाती है। इसके बाद पेट्रोल-डीजल डिपो में जाता है। और फिर रिटेलर के पास। रिटेलर तक पेट्रोल-डीजल पहुंचने के पहले राज्य सरकार इस पर वैट या सेल्स टैक्स लगाती है। रिटेलर के पास पेट्रोल-डीजल आने के बाद वो अपना कमीशन तय करता है। इसको हम आसान शब्दों में ऐसे समझ सकते है कि पेट्रोल-डीजल के लिए इम्पोर्ट ड्यूटी, एक्ससाइज डयूटी, वैट टैक्स और रिटेलर का कमीशन सभी आम आदमी को चुकाना पड़ता है।

केंद्र सरकार एक्ससाइज ड्यूटी के नाम पर 32 रुपए लेती है। वहीं महाराष्ट्र की बात करें तो, मुम्बई, ठाणे और नवी मुम्बई के लिए अलग टैक्स है। और बाकी महाराष्ट्र के लिए अलग टैक्स की दर है। मुम्बई, ठाणे और नवी मुम्बई से राज्य सरकार 39.54 प्रतिशत वैट लगाती है। वहीं बाकी महाराष्ट्र में उससे थोड़ा कम 38.52 प्रतिशत वैट लगाती है।

इसको और आसान शब्दों में समझा जाए तो, पेट्रोल की न्यूनतम कीमत होती है 30 रुपये, जिसके बाद केंद्र सरकार इस पर एक्ससाइज ड्यूटी के नाम पर 30 रुपये टैक्स लगा देती है। जिसके बाद महाराष्ट्र सरकार 30 प्रतिशत वैट लगा देती है। और उसके बाद होता है रिटेलर का कमीशन। इसी वजह से 30 रुपये का पेट्रोल विभिन्न टैक्स और कमीशन के कारण आम आदमी तक 100 रुपये प्रति लीटर पर पहुंचता है।

अब सबसे बड़ा सवाल पेट्रोल-डीजल की कीमत लगातार क्यों बढ़ रही है?

इस सवाल का जवाब देश का हर एक आदमी जानना चाहता है। बता दें कि 2014 के बाद पेट्रोल के प्रति बैरल की कीमत लगातार गिरती गई।

साल 2014 में पेट्रोल के प्रति बैरल की कीमत-93.17 डॉलर थी।

वहीं अब 2021 में पेट्रोल के प्रति बैरल की कीमत-60.41 डॉलर है।

पिछले साल दुनियाभर में लगाए गए लॉकडाउन के कारण पूरी दुनिया में पेट्रोल डीजल की मांग में बड़े पैमाने पर गिरावट आई थी। क्योंकि सड़कों पर वाहनों की संख्या नाम मात्र की थी। जिसके कारण तेल की कीमतों में लगातार कमी देखी गई। पर इसका भारत को कोई फायदा नहीं हुआ। क्योंकि देश की तेल कंपनियों ने भारत में ईंधन की कीमतों को स्तिर रखा था।

दुनिया भर में तेल की कीमतों के गिरने के बाद भी भारत के लोगों को कोई फायदा नहीं हुआ। क्योंकि केंद्र सरकार ने लगातार एक्ससाइज ड्यूटी में बढ़ोतरी की है। साल 2014 में एक्ससाइज ड्यूटी 10 रुपये थी। उसे साल 2020 तक बढ़ाकर 33 रुपए कर दिया गया।

अब अनलॉक के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत लगातार बढ़ती जा रही है। जिसके कारण बढ़ती कीमत और एक्ससाइज ड्यूटी का फ़टका देश की गरीब जनता पर पड़ रहा है।

वहीं पेट्रोल डीजल की कीमत को लेकर केंद्र और राज्य सरकारों के बीच जुबानी जंग भी शुरू है। दोनों सरकारें पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के लिए एक दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रही है। पर इनकी राजनीति में आम आदमी पीस रहा है।

अब समझते है जिनके पास वाहन नही है, वह कैसे लगातार बढ़ती -पेट्रोल की डीजल से प्रभावित होते हैं। जाहिर सी बात है कि पेट्रोल-डीजल की कीमत बढ़ने से महंगाई बढ़ेगी और महंगाई बढ़ने के कारण पब्लिक ट्रांसपोर्ट के किराए बढ़ेंगे। वहीं डीजल की कीमत बढ़ने से खाने-पीने की चीजों की कीमत भी लगातार बढ़ रही है।

पहले से ही आम आदमी कोरोना, लॉकडाउन और बेरोजगारी से परेशान हैं।
वहीं अब लगातार बढ़ती महंगाई ने आम आदमी की कमर तोड़दी है।

Report by : Rajesh Soni

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