मुंबई की राजनीति में एक अहम घटनाक्रम के तहत शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) की पूर्व नगरसेविका तेजस्वी घोषालकर ने सोमवार को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का दामन थाम लिया। वह वरिष्ठ शिवसेना नेता विनोद घोषालकर की बहू हैं। (political updates)
उनके बीजेपी में शामिल होने को आगामी बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) चुनावों से पहले यूबीटी गुट के लिए बड़ा राजनीतिक झटका माना जा रहा है, खासकर मुंबई के पश्चिमी उपनगरों में।
तेजस्वी घोषालकर को औपचारिक रूप से मुंबई बीजेपी अध्यक्ष अमित साटम ने पार्टी की सदस्यता दिलाई। इस मौके पर बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ता मौजूद रहे। बीजेपी में शामिल होने के बाद तेजस्वी घोषालकर ने कहा कि उनका यह फैसला किसी कड़वाहट या नाराजगी के कारण नहीं, बल्कि अपने पिछले अनुभवों और भविष्य में बेहतर समर्थन की जरूरत को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
उन्होंने कहा कि उनके पति की हत्या के बाद उनका जीवन भावनात्मक रूप से बेहद कठिन दौर से गुजरा है। ऐसे समय में उन्हें मजबूत राजनीतिक और सामाजिक समर्थन की आवश्यकता महसूस हुई। तेजस्वी ने स्पष्ट किया कि वह राजनीति में केवल पद या सत्ता के लिए नहीं, बल्कि जनसेवा के उद्देश्य से सक्रिय हैं और आगे भी मुंबई के लोगों, विशेषकर पश्चिमी उपनगरों के नागरिकों के लिए काम करती रहेंगी।
तेजस्वी घोषालकर पहले शिवसेना (यूबीटी) से नगरसेविका रह चुकी हैं और क्षेत्र में उनकी एक मजबूत पहचान मानी जाती है। उनके बीजेपी में जाने से शिवसेना (यूबीटी) को न सिर्फ संगठनात्मक नुकसान हुआ है, बल्कि आगामी बीएमसी चुनावों में समीकरण भी प्रभावित हो सकते हैं। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह कदम पश्चिमी उपनगरों में बीजेपी की स्थिति को और मजबूत कर सकता है।
बीजेपी नेताओं ने तेजस्वी घोषालकर के पार्टी में शामिल होने का स्वागत करते हुए कहा कि उनका अनुभव और जनसंपर्क पार्टी के लिए लाभदायक साबित होगा। मुंबई बीजेपी अध्यक्ष अमित साटम ने कहा कि तेजस्वी घोषालकर का बीजेपी में आना इस बात का संकेत है कि लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री के नेतृत्व में किए जा रहे विकास कार्यों से प्रभावित हैं।
वहीं, शिवसेना (यूबीटी) खेमे में इस घटनाक्रम को लेकर हलचल तेज हो गई है। पार्टी के कुछ नेताओं ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया, जबकि कुछ का कहना है कि पार्टी इससे उबरने में सक्षम है। हालांकि, यह स्पष्ट है कि तेजस्वी घोषालकर का जाना यूबीटी के लिए एक राजनीतिक झटका है, खासकर ऐसे समय में जब बीएमसी चुनाव नजदीक हैं। (political updates)
तेजस्वी घोषालकर ने अंत में कहा कि वह अपने ससुर विनोद घोषालकर द्वारा दिखाए गए जनसेवा के रास्ते पर ही आगे बढ़ेंगी और नई पार्टी में भी पूरी निष्ठा और ईमानदारी से काम करेंगी। उनके इस कदम ने मुंबई की सियासत में नई चर्चाओं को जन्म दे दिया है और आने वाले दिनों में इसके राजनीतिक प्रभाव और भी स्पष्ट होने की संभावना है। (political updates)