बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) प्लास्टर ऑफ पेरिस (POP) से बनी मूर्तियों को ‘निगेटिव लिस्ट’ में शामिल करने की योजना बना रही है। इसका उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण है, क्योंकि POP से बनी मूर्तियाँ जल में घुलती नहीं हैं और जल प्रदूषण का कारण बनती हैं। ‘निगेटिव लिस्ट’ में शामिल करने का मतलब है कि POP से बनी मूर्तियों का उपयोग, बिक्री और विसर्जन प्रतिबंधित होगा। BMC नागरिकों को पर्यावरण-अनुकूल विकल्प अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है, जैसे कि मिट्टी या अन्य जैव-अवक्रमणीय सामग्री से बनी मूर्तियाँ, जो आसानी से जल में घुलकर पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुँचातीं।
BMC ने प्लास्टर ऑफ पेरिस (POP) से बनी मूर्तियों के निर्माण, बिक्री और विसर्जन पर प्रतिबंध लगाने के लिए सख्त कदम उठाए हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के 2020 के दिशानिर्देशों के अनुसार, POP मूर्तियाँ पर्यावरण के लिए हानिकारक हैं, क्योंकि वे जलाशयों में घुलती नहीं हैं और जल प्रदूषण का कारण बनती हैं। बॉम्बे उच्च न्यायालय ने भी हाल ही में इन दिशानिर्देशों के सख्त अनुपालन का आदेश दिया है।
इस संदर्भ में, BMC ने POP विक्रेताओं को निर्देश दिया है कि वे केवल उन ग्राहकों को POP सामग्री बेचें जो वैध अनुमोदन या प्रमाणपत्र प्रस्तुत करें। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि POP का उपयोग केवल वैध और अनुमोदित कार्यों के लिए ही हो, जिससे अवैध मूर्ति निर्माण और पर्यावरण प्रदूषण पर रोक लगाई जा सके।
लेकिन श्रीगणेश मूर्तिकार संगठन ने प्लास्टर ऑफ पेरिस (POP) से बनी मूर्तियों पर प्रतिबंध के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट के निर्देशों का विरोध किया है। मूर्तिकारों का तर्क है कि POP मूर्तियों पर प्रतिबंध से उनके पेशे और आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने यह भी दावा किया कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के दिशा-निर्देश बाध्यकारी नहीं हैं और इन्हें जारी करने से पहले पर्यावरणीय आकलन नहीं किया गया था। हालांकि, बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में POP मूर्तियों के निर्माण, बिक्री और विसर्जन पर प्रतिबंध को बरकरार रखा है।
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