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Pune leopard News: अहिल्यानगर मार्ग पर चलती कार पर छलांग लगाकर घायल हुआ तेंदुआ

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Pune leopard News: अहिल्यानगर मार्ग पर चलती कार पर छलांग लगाकर घायल हुआ तेंदुआ

महाराष्ट्र के पुणे–अहिल्यानगर मार्ग पर मंगलवार सुबह एक दुर्लभ और चौंकाने वाली घटना सामने आई। कमरगांव के समीप सड़क किनारे झाड़ियों में छिपा एक तेंदुआ अचानक चलती कार पर कूद पड़ा, जिससे वह खुद घायल हो गया। यह पूरी घटना कैमरे में कैद हो गई और सोशल मीडिया पर वीडियो तेजी से वायरल हो गया। (Pune leopard News)

घटना के प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, सुबह लगभग 7:30 बजे जब एक कार तेज रफ्तार से पुणे की ओर जा रही थी, तभी सड़क किनारे झाड़ियों से एक तेंदुआ अचानक बाहर निकला। उसने कार पर छलांग लगाने का प्रयास किया, परंतु गति का गलत अनुमान लगाने के कारण वह कार के बोनट से टकरा गया और सड़क पर गिर पड़ा। इस हादसे में तेंदुआ कुछ समय तक सड़क पर असहाय स्थिति में पड़ा रहा। (Pune leopard News)

ड्राइवर और अन्य वाहन चालकों ने तत्काल अपने वाहन रोके और स्थिति का आकलन किया। किसी ने भी तेंदुए के निकट जाने की कोशिश नहीं की। इसके बजाय, उन्होंने तुरंत स्थानीय वन विभाग और पुलिस को सूचना दी।

सूचना प्राप्त होते ही वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची। टीम ने घायल तेंदुए को सुरक्षा घेरे में लेकर काबू में किया और उसे उपचार के लिए नजदीकी पशु चिकित्सालय ले जाया गया। प्रारंभिक जांच में पाया गया कि तेंदुए को सिर और एक पैर में हल्की चोटें आई हैं। वन अधिकारियों के अनुसार, उसकी स्थिति अब स्थिर है और स्वास्थ्य लाभ के बाद उसे पुनः जंगल में छोड़ा जाएगा। (Pune leopard News)

वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि हाल के दिनों में इस क्षेत्र में तेंदुओं की आवाजाही बढ़ी है। बढ़ते शहरीकरण और वनों के सीमित होते दायरे के कारण वन्यजीव अब अक्सर मानव बस्तियों और राजमार्गों के आसपास दिखाई देने लगे हैं। इससे न केवल जानवरों के जीवन को खतरा बढ़ा है, बल्कि सड़क दुर्घटनाओं की संभावना भी अधिक हो गई है।

अधिकारियों ने आम नागरिकों और वाहन चालकों से अपील की है कि ऐसे वन क्षेत्रों से गुजरते समय गति पर नियंत्रण रखें और सतर्क रहें। उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी वन्यजीव के दिखाई देने पर तुरंत वन विभाग को सूचना देना चाहिए, ताकि समय पर कार्रवाई की जा सके।

इस घटना ने एक बार फिर यह प्रश्न खड़ा किया है कि मानवीय गतिविधियों के कारण वन्यजीवों का प्राकृतिक आवास किस गति से प्रभावित हो रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि समय रहते उचित संरक्षण उपाय नहीं किए गए, तो मानव–वन्यजीव संघर्ष की घटनाएँ और बढ़ सकती हैं।

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