शिवसेना नेता संजय निरुपम ने मदुरै के एक मंदिर में दीपपज्वलन विवाद को लेकर विपक्ष पर तीखा हमला किया है। उन्होंने कहा कि विपक्ष जिहादी विचारधारा को बढ़ाते-बढ़ाते खुद जिहादी बन गई है और ऐसे कदम हिंदू विरोधी माने जा सकते हैं। निरुपम ने आरोप लगाया कि यह केवल धर्म के नाम पर राजनीति करने की चाल है, जिसका उद्देश्य समाज में धार्मिक तनाव उत्पन्न करना है। (Sanjay Nirupam Claim)
मदुरै के प्रमुख मंदिर में हाल ही में आयोजित दीपपज्वलन समारोह को लेकर राजनीतिक और धार्मिक विवाद शुरू हो गया। कुछ विपक्षी नेताओं और समूहों ने इस आयोजन पर आपत्ति जताई थी, जिसके बाद स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर यह मामला चर्चा में आ गया। संजय निरुपम ने इस विवाद को लेकर मीडिया से बातचीत में कहा कि विपक्ष हिंदू धर्म और उसकी परंपराओं के खिलाफ लगातार कदम उठा रहा है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की राजनीति सिर्फ मतभेद पैदा करती है और देश में साम्प्रदायिक तनाव बढ़ाती है।
निरुपम ने कहा कि शिवसेना हमेशा धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए खड़ी रही है और धार्मिक आयोजनों में किसी प्रकार की राजनीति की अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वे धर्म और परंपराओं के नाम पर जनता को भ्रमित और भड़काने की कोशिश कर रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि हिंदू समाज अपने धार्मिक अधिकारों और परंपराओं की रक्षा के लिए सजग और सतर्क है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह बयान आगामी चुनावों और साम्प्रदायिक मुद्दों को लेकर राजनीतिक हलकों में गरमाहट बढ़ा सकता है। देश में धार्मिक और सांस्कृतिक मुद्दों को लेकर अक्सर राजनीतिक पार्टियों के बीच मतभेद देखने को मिलते हैं। निरुपम के बयान ने भी इस बहस को नई दिशा दी है और विपक्ष को लेकर सवाल खड़े किए हैं।
स्थानीय हिंदू संगठनों ने संजय निरुपम के बयान का स्वागत किया और कहा कि मंदिरों और धार्मिक आयोजनों के मामलों में किसी भी प्रकार की राजनीति स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने विपक्षी दलों से अपील की कि वे धार्मिक और सांस्कृतिक मामलों को राजनीति से दूर रखें। (Sanjay Nirupam Claim)
कुल मिलाकर, मदुरै मंदिर दीपपज्वलन विवाद ने धर्म, राजनीति और समाज के बीच संतुलन पर नए सवाल खड़े कर दिए हैं। शिवसेना नेता संजय निरुपम के बयान ने इस मुद्दे को राष्ट्रीय चर्चा में ला दिया है और यह साफ कर दिया है कि धार्मिक आयोजनों को लेकर राजनीतिक टकराव की संभावना हमेशा बनी रहती है। (Sanjay Nirupam Claim)
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