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मुंबई के कुछ हिस्से प्रदूषण की चपेट में हैं

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Mumbai Affected by pollution : मुंबई के कुछ हिस्से प्रदूषण की चपेट में हैं, और यह समस्या शहर के नागरिकों के लिए गंभीर स्वास्थ्य खतरे का कारण बन रही है। खासतौर पर भायखला, शिवडी, देवनार और मानखुर्द जैसे प्रमुख निर्वाचन क्षेत्रों में प्रदूषण की स्थिति काफी चिंताजनक हो गई है। इन इलाकों में वायु प्रदूषण के स्तर में लगातार वृद्धि हो रही है, जो नागरिकों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है।

मुंबई, जो भारत के सबसे बड़े और व्यस्त शहरी केंद्रों में से एक है, में औद्योगिक गतिविधियाँ, निर्माण कार्य, ट्रैफिक और अन्य विकास परियोजनाएँ प्रदूषण का प्रमुख कारण बन रही हैं। इन क्षेत्रों में विशेष रूप से औद्योगिक क्षेत्र होने के कारण वायु गुणवत्ता बहुत खराब हो गई है। देवनार जैसे इलाकों में बड़ी कचरा डंपिंग साइट्स हैं, जो प्रदूषण का मुख्य स्रोत मानी जाती हैं। इसके अलावा, शिवडी और मानखुर्द में लगातार निर्माण कार्य और ट्रैफिक जाम के कारण भी वायु प्रदूषण की समस्या बढ़ रही है। (Mumbai Affected by pollution)

वायु प्रदूषण का सीधा असर श्वसन प्रणाली पर पड़ता है। इन क्षेत्रों में रहने वाले नागरिक श्वसन संबंधी बीमारियों, फेफड़ों की समस्याओं, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे हैं। बच्चों और बुजुर्गों में इन बीमारियों की संख्या अधिक देखी जा रही है, जो इस संकट को और गंभीर बना देती है। हाल के आंकड़ों के अनुसार, इन इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) के स्तर ने स्वास्थ्य के लिए खतरनाक स्थिति उत्पन्न कर दी है।

स्थानीय अस्पतालों में इन बीमारियों से पीड़ित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं पर भी दबाव बढ़ रहा है। इस स्थिति को सुधारने के लिए तत्काल उपायों की आवश्यकता है। प्रदूषण नियंत्रण के लिए सख्त कदम उठाने और सरकारी नीतियों में सुधार की आवश्यकता है। शहरी विकास, ट्रांसपोर्ट नेटवर्क, और औद्योगिक गतिविधियों को अधिक पर्यावरण-संवेदनशील बनाने के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए। (Mumbai Affected by pollution)

इसके अलावा, नागरिकों को भी प्रदूषण के प्रभावों से बचने के लिए जागरूक किया जाना चाहिए। मास्क पहनने, प्रदूषण कम करने के उपायों को लागू करने, और सड़कों पर धूल को नियंत्रित करने जैसे कदम नागरिकों को स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं। मुंबई की इन प्रदूषित इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए यह एक आपातकालीन स्थिति बन चुकी है, और अब समय आ गया है कि सरकार, स्थानीय प्रशासन और नागरिक मिलकर इस समस्या का समाधान ढूंढें।

 

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