वेतन वृद्धि के लिए ऐतिहासिक हड़ताल और राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद भी एसटी श्रमिकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। महाराष्ट्र एसटी वर्कर्स एसोसिएशन ने आरोप लगाया है कि 10वीं तारीख बीत जाने के बाद भी एसटी कर्मचारियों को उनका वेतन नहीं मिला है। महाराष्ट्र एसटी कर्मचारी कांग्रेस के महासचिव श्रीरंग बर्गे ने आरोप लगाया है कि राज्य सरकार अदालत की अवमानना कर रही है और शिंदे-फडणवीस सरकार का मजदूर विरोधी रुख सामने आ गया है।
न्यायालय द्वारा गठित तीन सदस्यीय समिति ने न्यायालय में सरकार की ओर से अनुसूचित जनजाति कर्मचारियों के चार वर्ष के हड़ताल वेतन की पूरी राशि तथा प्रत्येक माह की 7 से 10 तारीख के बीच वेतन भुगतान करने पर सहमति व्यक्त की थी। लेकिन इस महीने की 10 तारीख के बाद भी सरकार की ओर से फंड नहीं मिलने के कारण कर्मचारियों को नहीं मिला है, यह कोर्ट की अवमानना है और शिंदे-फडणवीस सरकार का यह मजदूर विरोधी रुख सामने आया है। महाराष्ट्र एसटी कर्मचारी कांग्रेस के महासचिव श्रीरंग बर्गे ने चेतावनी दी है कि सरकार कर्मचारियों से झूठ बोल रही है और कानूनी माध्यम से सरकार को सबक सिखाया जाएगा।
सालों से कर्मचारियों को हर महीने की 7 तारीख को वेतन मिलता था। लेकिन इस माह 10वीं का भी वेतन नहीं मिला है। कर्मचारी संघों का आरोप है कि सरकार इस मुद्दे को लेकर गंभीर नहीं है। एक तरफ जहां विपक्षी दल में रहते हुए हड़ताल के दौरान कर्मचारियों के पक्ष में बोलने वाले भाजपा नेता अब सत्ता में आने के बाद खामोश हो गए हैं। हड़ताल के दौरान और अब भाजपा की भूमिका पर नजर डालें तो बजरा ने हमला बोला कि भाजपा का दोगलापन सामने आ गया है।
Also Read: सत्ता संघर्ष की अगली सुनवाई 14 फरवरी को होगी