महाराष्ट्र सरकार राज्य में डांस बार को फिर से खुलने से रोकने के लिए और सख्त कानून बनाने की योजना बना रही है। सरकार का मानना है कि डांस बार कई अवैध गतिविधियों और अनैतिक कार्यों का केंद्र बन सकते हैं, जिससे महिलाओं के शोषण की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। इससे पहले भी राज्य सरकार ने डांस बार पर प्रतिबंध लगाने के कई प्रयास किए थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के कारण इन्हें सीमित शर्तों के साथ फिर से खोलने की अनुमति मिल गई थी।
डांस बार बंद करने की दिशा में सरकार पहले भी कई कड़े कदम उठा चुकी है। 2005 में महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में डांस बार पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन 2013 में बॉम्बे हाईकोर्ट और बाद में 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रतिबंध को हटा दिया। हालांकि, कोर्ट ने कुछ सख्त नियमों के तहत इन्हें संचालित करने की अनुमति दी थी। बावजूद इसके, सरकार इन बारों को लेकर चिंतित रही है क्योंकि इनकी आड़ में अवैध गतिविधियां और मानव तस्करी जैसे अपराधों के बढ़ने की शिकायतें मिलती रही हैं।
अब सरकार नए कानूनी प्रावधान लाकर इन्हें पूरी तरह बंद करने की योजना बना रही है। इसके तहत डांस बार संचालकों के लिए लाइसेंसिंग प्रक्रिया को और कठिन बनाया जा सकता है, जिससे उन्हें कानूनी रूप से संचालन जारी रखना मुश्किल होगा। इसके अलावा, यदि कोई डांस बार अवैध रूप से चलता पाया गया तो उस पर भारी जुर्माना और कड़ी सजा का प्रावधान किया जा सकता है।
सरकार यह भी सुनिश्चित करना चाहती है कि इस प्रतिबंध से डांस बार में काम करने वाली महिलाओं को कोई नुकसान न हो। इसके लिए उनके पुनर्वास की योजना भी बनाई जा सकती है, जिससे वे वैकल्पिक आजीविका के साधन प्राप्त कर सकें। महिला सुरक्षा और कानून व्यवस्था को मजबूत करने के उद्देश्य से सरकार इस दिशा में जल्द ही कोई बड़ा फैसला ले सकती है।
महाराष्ट्र सरकार का मानना है कि डांस बार पूरी तरह बंद करने से समाज पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और अवैध गतिविधियों को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। इस मुद्दे पर जल्द ही विधानसभा में चर्चा होने की संभावना है। सरकार जनता, सामाजिक कार्यकर्ताओं और अन्य हितधारकों से भी सुझाव लेकर इस कानून को और प्रभावी बनाने की कोशिश कर रही है।
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