कुछ दिनों पहले हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा अडानी उद्योग समूह पर प्रकाशित एक रिपोर्ट ने भारतीय शेयर बाजार में काफी हलचल मचा दी थी। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अडानी उद्योग समूह ने शेयर बाजार में गड़बड़ी की है। इसके बाद अब तक अदाणी उद्योग समूह को 100 अरब डॉलर से अधिक का नुकसान हो चुका है।राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई वित्तीय संस्थानों ने अदाणी समूह को दी गई रेटिंग वापस ले ली है। इसलिए जहां अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अदानी उद्योग समूह की साख खराब हुई है, वहीं अदानी उद्योग समूह को भी सुप्रीम कोर्ट में निराशा का सामना करना पड़ा है। इस संबंध में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने अहम आदेश दिया।
अडानी इंडस्ट्रीज ग्रुप द्वारा हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चार याचिकाएं दायर की गई हैं। इस पर संयुक्त सुनवाई हो चुकी है और अभी परिणाम घोषित नहीं हुआ है।सुनवाई 17 फरवरी को समाप्त हुई और अदालत ने अभी तक अपना फैसला सुरक्षित रखा है। इन याचिकाओं के साथ ही एक याचिकाकर्ता वकील एम. एल शर्मा ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट के मीडिया कवरेज के संबंध में एक मांग की। इसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है।
शर्मा ने अदालत से हिंडनबर्ग रिपोर्ट और अदानी समूह के मीडिया कवरेज को प्रतिबंधित करने की मांग की थी। यह भी मांग की गई कि इस संबंध में कोई भी रिपोर्टिंग सेबी से मंजूरी मिलने के बाद ही की जाए। हालांकि, कोर्ट ने इस मांग को खारिज कर दिया। हम इस संबंध में मीडिया को इस तरह के निर्देश कभी नहीं देंगे। हम जल्द ही इस मामले के परिणाम की घोषणा करेंगे”, मुख्य न्यायाधीश धनंजय चंद्रचूड़ ने कहा।
इसी बीच इसी याचिका में भारत में हिंडनबर्ग रिसर्च के संस्थापक नाथन एंडरसन और उनके सहयोगियों के खिलाफ भी मामला दर्ज करने की मांग की गई है, जिन्होंने अडानी औद्योगिक समूह के बारे में जानकारी लीक की थी। संभावना है कि जल्द ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा फैसला सुनाया जाएगा।
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