ताजा खबरेंमहाराष्ट्रमुंबई

TCS Victory: जबरन मेडिकल इस्तीफे के बाद श्रम कार्यालय ने दिलवाई पूरी ग्रेच्युटी

35
TCS Victory: जबरन मेडिकल इस्तीफे के बाद श्रम कार्यालय ने दिलवाई पूरी ग्रेच्युटी

टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज़ (TCS) से जबरन निकाले गए एक मुंबई-आधारित कर्मचारी को आखिरकार इंसाफ मिल गया है। कंपनी द्वारा ग्रेच्युटी देने से इनकार किए जाने के बाद मामला मुंबई श्रम आयुक्त कार्यालय तक पहुँचा, जहाँ हस्तक्षेप के बाद टीसीएस को पूरी ग्रेच्युटी राशि का भुगतान करने का आदेश दिया गया। हालांकि कर्मचारी को उसकी नौकरी वापस नहीं मिल सकी, लेकिन यह फैसला जबरन इस्तीफे और मनमानी नीतियों के खिलाफ कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण जीत साबित हुआ है। (TCS Victory)

इस घटना को महाराष्ट्र फ़ोरम फ़ॉर आईटी एम्प्लॉइज़ (FITE) ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X पर साझा किया। उन्होंने इसे “Dark Side of TCS – Part 07” नाम दिया और लिखा कि इस मामले में टीसीएस को अपने अनुचित व्यवहार के कारण हार का सामना करना पड़ा। पोस्ट में बताया गया कि कैसे एक कर्मचारी, जिसने कंपनी में सात से अधिक साल सेवा दी थी, उसे ऐसी परिस्थिति में इस्तीफा देने पर मजबूर किया गया जब वह आपातकालीन चिकित्सा अवकाश पर था।

रिपोर्ट के अनुसार, यह कर्मचारी अपने पिता को आईसीयू में भर्ती कराने के कारण अचानक मेडिकल इमरजेंसी में अवकाश पर गया था। इसी दौरान, प्रबंधन की ओर से उस पर दबाव बनाया गया कि वह अपनी नौकरी छोड़ दे। कर्मचारी ने अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कंपनी को बताया कि वह पारिवारिक संकट से गुजर रहा है, लेकिन इसके बावजूद टीसीएस के अधिकारियों द्वारा उसे निरंतर इस्तीफे के लिए मजबूर किया जाता रहा। (TCS Victory)

जब कर्मचारी ने इस्तीफा देने से इनकार किया, तो कथित रूप से कंपनी ने उसे तरह-तरह से दबाव में डालना शुरू कर दिया, जिसके चलते अंततः उसे मजबूरी में इस्तीफा देना पड़ा। लेकिन मामला यहीं खत्म नहीं हुआ। नौकरी छूटने के बाद कर्मचारी ने पाया कि टीसीएस ने उसकी ग्रेच्युटी राशि भी रोक ली है—जबकि कानून के अनुसार पाँच वर्ष से अधिक सेवा देने वाले कर्मचारियों को ग्रेच्युटी मिलना उनका अधिकार है।

निराश कर्मचारी ने मामला मुंबई श्रम आयुक्त कार्यालय में उठाया। विस्तृत सुनवाई के बाद श्रम कार्यालय ने पाया कि कर्मचारी पर इस्तीफा देने का दबाव बनाया गया था और ग्रेच्युटी रोकना पूरी तरह अवैध था। इसके बाद टीसीएस को आदेश दिया गया कि वह तत्काल प्रभाव से पूर्ण ग्रेच्युटी का भुगतान करे।

यह फैसला उन हजारों कर्मचारियों के लिए राहत की उम्मीद बनकर आया है, जो हाल के महीनों में टीसीएस और अन्य आईटी कंपनियों के भीतर जबरन इस्तीफा, हायरिंग फ्रीज, बेंच प्रेशर और अनुचित टर्मिनेशन जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। FITE ने अपने पोस्ट में स्पष्ट किया कि नौकरी तो वापस नहीं मिली, लेकिन यह जीत महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे साबित होता है कि कर्मचारी अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ सकते हैं और कानून उनके साथ खड़ा है।

आईटी सेक्टर में तेजी से बढ़ रहे दबाव और कथित मनमानी नीतियों के बीच यह मामला एक उदाहरण बनकर सामने आया है कि श्रम कानून अभी भी ताकत रखते हैं और कर्मचारी न्याय प्राप्त कर सकते हैं। यह फैसला उन कर्मचारियों को भी प्रेरित करता है जो अक्सर बड़ी कंपनियों के खिलाफ आवाज उठाने से डरते हैं। (TCS Victory)

टीसीएस जैसे प्रतिष्ठित संगठन के लिए यह मामला कई सवाल खड़े करता है खासकर कर्मचारियों की भलाई और नैतिक कार्यप्रणाली को लेकर। उम्मीद है कि ऐसे फैसले भविष्य में कंपनियों को अधिक संवेदनशील और पारदर्शी होने के लिए प्रेरित करेंगे।

Also Read: Religious Coercion: अंधेरी स्टेशन पर किशोरी के साथ कथित ‘धर्मांतरण’ का प्रयास

Recent Posts

Advertisement

ब्रेकिंग न्यूज़