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Thane Case: राज ठाकरे ठाणे कोर्ट में पेश, 2008 कल्याण हमले में दोष से इनकार

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Thane Case: राज ठाकरे ठाणे कोर्ट में पेश, 2008 कल्याण हमले में दोष से इनकार

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे गुरुवार को 2008 के बहुचर्चित रेलवे भर्ती हिंसा मामले में ठाणे रेलवे कोर्ट में पेश हुए। यह मामला उस घटना से जुड़ा है जिसमें कल्याण रेलवे स्टेशन पर उत्तर भारतीय अभ्यर्थियों पर हमला हुआ था। गुरुवार की सुनवाई के दौरान राज ठाकरे ने अदालत को बताया कि वे किसी भी प्रकार का दोष स्वीकार नहीं करते और मामले में पूरी तरह सहयोग करने को तैयार हैं। अदालत ने संकेत दिया है कि यदि सभी प्रक्रियाएँ समय पर पूरी हुईं, तो इस केस का निपटारा एक महीने के भीतर हो सकता है। (Thane Case)

2008 में रेलवे भर्ती परीक्षा के लिए बड़ी संख्या में उत्तर भारतीय उम्मीदवार कल्याण स्टेशन पहुंचे थे। उसी दौरान कथित तौर पर मनसे कार्यकर्ताओं ने उनके साथ मारपीट की, क्योंकि पार्टी का आरोप था कि महाराष्ट्र के युवाओं को रोजगार के अवसरों में प्राथमिकता नहीं दी जा रही थी। इस घटना से स्टेशन पर अफरा-तफरी मच गई, कई अभ्यर्थी घायल हुए और रेलवे संपत्ति को भी नुकसान पहुंचा। घटना के तुरंत बाद रेलवे पुलिस ने राज ठाकरे सहित कई मनसे कार्यकर्ताओं के खिलाफ मामला दर्ज किया था।

गुरुवार को अदालत में पेशी के दौरान राज ठाकरे ने कहा कि वे न्यायालय की प्रक्रिया का सम्मान करते हैं और हर तरह से सहयोग करेंगे। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि वे किसी भी आरोप को स्वीकार नहीं करते और उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों में तथ्य नहीं हैं। उनकी ओर से उपस्थित वकीलों ने भी दलील दी कि राज ठाकरे पर लगाए गए आरोप राजनीतिक दबाव और उस समय की परिस्थितियों का परिणाम थे।

सुनवाई के दौरान अदालत ने अभियोजन पक्ष से मामले से जुड़ी कागज़ी कार्रवाई और बाकी औपचारिकताएँ जल्द पूरी करने के निर्देश दिए, ताकि केस का निपटारा तेजी से किया जा सके। अदालत ने यह भी कहा कि यदि आगे की तारीखों पर पक्षकारों की उपस्थिति सुनिश्चित हो जाती है, तो यह मामला अगले एक महीने के भीतर समाप्त किया जा सकता है।

इस बीच, मनसे कार्यकर्ताओं की एक टीम भी अदालत परिसर के बाहर मौजूद थी। उन्होंने राज ठाकरे के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया और कहा कि मामला राजनीतिक रूप से प्रेरित है। मनसे नेताओं का कहना है कि 2008 की घटना को बार-बार राजनीतिक उद्देश्यों से उछाला जाता रहा है, जबकि असल जिम्मेदारियों को कभी सही तरीके से जांचा नहीं गया।

मामला 15 साल से अधिक समय से लंबित है, इसलिए इस पर अदालत का त्वरित निर्णय की ओर बढ़ना महत्वपूर्ण माना जा रहा है। कानूनी जानकारों का कहना है कि यदि अगले कुछ सप्ताह में गवाही और दस्तावेज संबंधी प्रक्रियाएँ पूरी हो जाती हैं, तो फैसला जल्द दिया जा सकता है। (Thane Case)

अब नजरें इस पर टिकी हैं कि आने वाली सुनवाई में क्या नया सामने आता है और इस पुराने, मगर महत्वपूर्ण, मामले का परिणाम क्या होगा। (Thane Case)

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