WhatsApp University: महिला आरक्षण विधेयक के फायदे और नुकसान पर एक बार फिर चर्चा हो तो स्वागत है। लेकिन इस तरह का आरक्षण सामान्य न होकर एससी, एसटी, ओबीसी, माइक्रो ओबीसी की सीटें कैसी होंगी, इसका भी विस्तार किया जाना चाहिए।
इससे पहले जब सोनिया जी गांधी की पहल पर महिला आरक्षण बिल लोकसभा में पेश किया गया था.
उस वक्त भारतीय जनता पार्टी ने दावा किया था कि बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती ने इसका विरोध किया था.(WhatsApp University)
लेकिन बहनजी ने जो रुख अपनाया वह पहले यह बताना था कि एससी एसटी ओबीसी महिलाओं के लिए आरक्षण का वितरण कैसे होगा। और विशेष रूप से यह ज्ञात होना चाहिए कि इस तरह की आरक्षण वितरण प्रणाली का विरोध तत्कालीन भाजपा नेता उमा भारती या सुषमा स्वराज ने किया था।
अगर इसमें अलग-अलग वर्ग की महिलाओं के आरक्षण पर चर्चा नहीं की गई और सत्ता प्रतिष्ठान की महिलाएं फिर से आगे आएंगी तो इस बिल का हश्र यह होगा, ”वे चेहरे वही मोहरे और कुएं में टूटे कुएं होंगे.”
_ प्रो. सुषमा डार्के
#महिला संरक्षण विधेयक
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