Uddhav’s attack on BJP : शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बीजेपी पर तीखा हमला बोलते हुए समाज में विभाजन पैदा करने का आरोप लगाया। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से अपील की कि बीजेपी के ‘जय श्रीराम’ के नारे का जवाब ‘जय शिवाजी’ और ‘जय भवानी’ के नारों से दें। ठाकरे ने रविवार को एक सभा में अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा कि बीजेपी की नीतियां समाज में विष फैलाने का काम कर रही हैं और इसके खिलाफ आवाज उठाना जरूरी है।
उन्होंने कहा, “अगर कोई ‘जय श्रीराम’ कहता है, तो उसे बिना ‘जय शिवाजी’ और ‘जय भवानी’ सुने जाने न दें। हमें अपने महापुरुषों की विरासत को याद रखना होगा और सांप्रदायिक एजेंडे के खिलाफ मजबूती से खड़ा होना होगा।” ठाकरे ने किसानों की कर्ज माफी की मांग करते हुए महाराष्ट्र में बीजेपी सरकार की नीतियों पर भी सवाल उठाए। (Uddhav’s attack on BJP)
उद्धव ठाकरे ने बीजेपी की दोहरी राजनीति पर निशाना साधते हुए कहा कि एक समय बीजेपी के नेता पाकिस्तान के साथ किसी भी तरह के खेल आयोजनों का विरोध करते थे, लेकिन अब भारत न केवल पाकिस्तान बल्कि बांग्लादेश के साथ भी क्रिकेट मैच खेल रहा है। उन्होंने कहा, “बीजेपी की कथनी और करनी में बड़ा फर्क है। वे सत्ता के लिए किसी भी मुद्दे को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करते हैं, चाहे वो धर्म का हो या देशभक्ति का।”
ठाकरे ने अपने संबोधन में कहा कि शिवाजी महाराज और देवी भवानी के आदर्शों पर चलते हुए महाराष्ट्र के लोग कभी भी अन्याय और अत्याचार के सामने झुकने वाले नहीं हैं। उन्होंने अपने समर्थकों से आह्वान किया कि वे समाज को बांटने वाली राजनीति के खिलाफ मजबूती से खड़े हों और महाराष्ट्र की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत को बचाने के लिए संघर्ष करें।
शिवसेना (यूबीटी) के नेता ने यह भी कहा कि बीजेपी ने सिर्फ धार्मिक मुद्दों पर राजनीति करके जनता को गुमराह किया है, जबकि महंगाई, बेरोजगारी, और किसानों की समस्याओं जैसे असली मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि आने वाले चुनावों में जनता बीजेपी की इस विभाजनकारी राजनीति का जवाब देगी। (Uddhav’s attack on BJP)
इस बयान के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मच गई है। बीजेपी नेताओं ने ठाकरे के बयान की निंदा करते हुए कहा कि यह हिंदू भावनाओं का अपमान है। हालांकि, उद्धव ठाकरे ने साफ कर दिया कि उनकी लड़ाई किसी धर्म के खिलाफ नहीं, बल्कि सांप्रदायिकता के खिलाफ है।
ठाकरे का यह बयान आगामी विधानसभा चुनावों से पहले महाराष्ट्र की राजनीतिक जमीन पर बड़ा प्रभाव डाल सकता है। देखना दिलचस्प होगा कि इस राजनीतिक टकराव का क्या असर होगा और महाराष्ट्र की जनता किसके साथ खड़ी होगी।
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