वसई के श्री हनुमंत विद्या मंदिर स्कूल में हुई एक दर्दनाक घटना ने पूरे महाराष्ट्र को झकझोर कर रख दिया है। 13 वर्षीय छात्रा काजल गौंड की मौत के बाद उसकी शिक्षिका ममता यादव को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। आरोप है कि शिक्षिका ने देर से आने वाले छात्रों को कड़ी सज़ा दी थी, जिसके कारण छात्रा की हालत बिगड़ी और बाद में उसकी मौत हो गई। (Vasai Tragedy)
यह घटना 8 नवंबर को सामने आई, जब सतीवली, वसई (पूर्व) स्थित स्कूल में कक्षा 6 की छात्रा काजल गौंड समेत कुछ बच्चे स्कूल में देर से पहुँचे। कक्षा शिक्षिका ममता यादव ने दंडस्वरूप सभी बच्चों को अपने स्कूल बैग कंधों पर रखकर 100 बैठकें (स्क्वॉट्स) करने को कहा। बताया जा रहा है कि काजल ने भी अन्य छात्रों के साथ यह कठोर दंड पूरा किया।
स्कूल से घर लौटने के बाद काजल की तबीयत अचानक खराब होने लगी। उसे तेज़ दर्द और थकान महसूस होने लगी। परिजन उसे तत्काल अस्पताल लेकर गए, जहाँ उसका इलाज शुरू किया गया। हालांकि डॉक्टरों की कोशिशों के बावजूद काजल की हालत में सुधार नहीं हुआ और इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। (Vasai Tragedy)
घटना ने क्षेत्र में बड़ी प्रतिक्रिया पैदा की। परिजनों और स्थानीय लोगों ने इस घटना को अत्यधिक दंड का परिणाम बताया। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए JJ अस्पताल भेजा। मंगलवार को पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट पुलिस को सौंप दी गई, जिसमें स्पष्ट हुआ कि छात्रा की मृत्यु कठोर दंड से हुए शारीरिक तनाव और स्वास्थ्य की बिगड़ती स्थिति के कारण हुई।
रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने शिक्षिका ममता यादव के खिलाफ गैर-इरादतन हत्या (culpable homicide not amounting to murder) का मामला दर्ज किया। बुधवार को पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि प्रारंभिक जांच में यह सामने आया कि अत्यधिक दंड ने काजल की सेहत को गंभीर रूप से प्रभावित किया, जिससे उसकी मृत्यु हुई।
यह घटना स्कूलों में अनुशासन के नाम पर दिए जाने वाले कठोर दंड पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े करती है। विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखे बिना दिया गया कोई भी दंड गंभीर परिणाम दे सकता है।
काजल के परिजन इस घटना से सदमे में हैं और न्याय की मांग कर रहे हैं। वहीं, पुलिस आगे की जांच कर रही है ताकि यह स्पष्ट हो सके कि स्कूल प्रशासन की क्या भूमिका थी और क्या अनुशासन संबंधी नियमों का पालन किया गया था।
यह मामला न केवल एक मासूम जान के खोने की त्रासदी है, बल्कि यह शिक्षा प्रणाली में बच्चों की सुरक्षा और शिक्षकों की जिम्मेदारियों पर गंभीर सवाल उठाता है। (Vasai Tragedy)
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