केंद्र सरकार ने इस महीने संसद का विशेष सत्र बुलाया है और अब कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. इस पत्र में उन्होंने संसद के विशेष सत्र का एजेंडा मांगा है. सोनिया गांधी ने यह भी पूछा कि बिना चर्चा के विशेष सत्र की घोषणा क्यों की गई. पत्र में यह भी लिखा गया कि संसद के विशेष सत्र का एजेंडा पहले ही जारी किया जा चुका है और यह पहली बार है कि संसद के विशेष सत्र का एजेंडा जारी नहीं किया गया है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है. (Sonia Gandhi)
मंगलवार को कांग्रेस ने सोनिया गांधी की अध्यक्षता में बैठक की, इसके बाद अखिल भारतीय पार्टियों के सांसदों के साथ बैठक हुई. बैठक में उन मुद्दों पर चर्चा हुई जो विपक्ष सत्र में उठाने जा रहा है. बुधवार को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि कांग्रेस संसदीय दल के एक समूह ने भारत अघाड़ी की बैठक में हिस्सा लिया था.उन्होंने कहा कि बैठक में फैसला लिया गया कि संसद के विशेष सत्र में विपक्षी दल सदन का बहिष्कार नहीं करेगा बल्कि जनता के मुद्दों को उठाएगा.
जयराम रमेश ने कहा कि 6 सितंबर की सुबह सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा और कुछ सवाल पूछे. सरकार ने विपक्ष से बिना चर्चा किए संसद का विशेष सत्र बुलाने की घोषणा कर दी थी.
प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में सोनिया गांधी ने उन मुद्दों का भी जिक्र किया है जिन्हें पार्टी विशेष सत्र में उठाना चाहती है. सोनिया गांधी (Sonia Gandhi)ने मांग की है कि विपक्ष द्वारा उठाए गए इन मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए. सिर्फ सरकार के एजेंडे पर ही चर्चा नहीं होनी चाहिए. 18 से 22 सितंबर तक सदन का विशेष सत्र बुलाया गया है. इसमें कांग्रेस निम्नलिखित मुद्दे उठाने जा रही है-
1. वर्तमान आर्थिक स्थिति पर चर्चा: महंगाई, बेरोजगारी, एमएसएमई उद्योग की समस्याएं.
2. किसानों की एमएसपी की मांग: किसान आंदोलन के दौरान एमएसपी की कानूनी गारंटी का वादा किया गया, चर्चा की गई.
9. अडानी पर जेपीसी: अडानी समूह और समूह के मोदी सरकार के साथ कथित संबंधों के बारे में कथित खुलासों पर चर्चा और जेपीसी के गठन की मांग.
4. जाति जनगणना : जाति जनगणना बहुत लंबी चली, इस समय नियमित जनगणना भी नहीं होती थी। इस पर चर्चा करने के लिए.
5. संघीय ढांचे पर हमला: केंद्र की रणनीति के तहत गैर-बीजेपी शासित राज्यों को परेशान किया जा रहा है. केंद्र-राज्य संबंधों पर चर्चा होनी चाहिए.
6. प्राकृतिक आपदाएँ: कई राज्य भारी बारिश और सूखे की चपेट में हैं, लेकिन केंद्र सरकार ने आपदा घोषित नहीं की है। इस पर चर्चा होनी चाहिए.
7. चीन मुद्दा : तीन साल तक चीनी घुसपैठ पर चर्चा नहीं हुई. इस पर सामूहिक संकल्प होना चाहिए.
8. सांप्रदायिक तनाव : हरियाणा समेत विभिन्न राज्यों में भय और चिंता का माहौल है. इस पर चर्चा होनी चाहिए.
9. मणिपुर मामला: मणिपुर में चार महीने बाद भी हिंसा जारी है. इंफाल में अगले पांच दिनों के लिए कर्फ्यू लगा दिया गया है. इस पर चर्चा की जरूरत है.
इंडिया की भारत नाम के विवाद पर भी जयराम रमेश ने टिप्पणी की. प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए जयराम रमेश ने कहा कि ‘संविधान में इंडिया दैट इज भारत लिखा है. इस पर कोई विवाद नहीं होना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि इंडिया अलायंस की तीन बैठकों के बाद प्रधानमंत्री और उनके रणनीतिकार डरे हुए हैं.(Sonia Gandhi)