ताजा खबरें

कुर्ला के बाहर खड़े मजदूरों का दर्द जानकार छलक जाएंगे आपके आंसू

383

महाराष्ट्र (Maharashtra) सरकार के लॉकडाउन (Lockdown) जैसे कर्फ्यू (Curfew) ने मजदूर (Labor) लोगों के आंखों से आंसू निकाल दिए हैं। किसी का रोजगार छीन गया तो, किसी को वेतन नहीं मिला। ऐसे में थक हारकर भूखमरी के डर से मजदूर (Labor) अपने-अपने गांवों की तरफ पलायन कर रहे हैं। पर इससे भी ज्यादा दुर्भाग्य की बात यह है कि ऐसे मुश्किल वक़्त में भी इन गरीब -लाचार मजदूरों (Labor) को प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से किसी भी तरह की मदद नहीं मिल रही है।

ऐसे ही कुछ परिस्थितियों के मारे मजदूरों से मेट्रो मुम्बई की टीम ने मुम्बई के लोकमान्य तिलक टर्मिनस यानी कुर्ला रेलवे स्टेशन के बाहर उनका दर्द जाना। यह सारे मजदूर काम-धंधा छीन जाने और वेतन ना मिलने की वजह से अपने गृहराज्य यूपी, बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों की तरफ बड़ी संख्या में पलायन कर रहे हैं।

हमारे रिपोर्टर करन वर्मा ने कुर्ला टर्मिनस के बाहर गांव जाने के लिए लंबी कतार में खड़े मजदूर शिवकुमार वर्मा से उनकी परेशानियों के बारे में जाना। प्रयागराज जाने वाले शिवकुमार नाम के एक मजदूर से जब हमारे रिपोर्टर करन वर्मा ने पूछा कि, क्या आप अब मुम्बई वापस आना चाहते हो? उन्होंने इस सवाल का जवाब साफ शब्दों में ना बोलकर दिया।

आगे शिवकुमार नाम के इस मजदूर ने बताया कि, ‘पिछले साल की तरह इस साल भी लॉकडाउन के दौरान सरकार से किसी प्रकार की सहायता नहीं मिल रही है। वहीं शिवकुमार जिस इमिटेशन की कंपनी में नौकरी करते थे, उस कंपनी ने भी उन्हें वेतन नहीं दिया है।

शिवकुमार के अनुसार, कंपनी ने उन्हें वेतन देने के बदले सिर्फ गांव जाने के लिए किराया देने की बात कही। शिवकुमार के पास गांव जाने तक के पैसे नहीं है। कंपनी से पगार मांगने पर उन्हें कंपनी ने बैंक खाते में पैसे भेजने का आश्वासशन दे दिया।

वहीं जब हमारे रिपोर्टर ने उनसे कंपनी के खिलाफ पुलिस शिकायत दर्ज कराने की बात कही तो, उन्होंने जवाब दिया किससे क्या बोलूं? मुसीबत तो हमपर ही आती है, गरीबों पर आती है। दूसरे पर नहीं आती, कभी भी।

हमारे रिपोर्टर ने मजदूर शिवकुमार से वापस पूछा कि, अब आप आगे मुम्बई आना चाहते हो तो, उन्होंने इस सवाल का जवाब दिया कि ‘मुम्बई हर कोई आना चाहता है। पर ऐसी स्थिति में दुबारा कोई नहीं आना चाहेगा। सबकुछ अच्छा रहेगा तो मुम्बई हर कोई आएगा। मायानगरी मुम्बई सबको प्यारी है। काम धंधा रहेगा तो सब कोई आना चाहेगा।

वहीं हमारे रिपोर्टर ने एक और मजदूर से बात की है। जिनके पास गांव जाने के लिए पैसा नहीं। उनके पास सिर्फ 500 रुपये हैं और उनके परिवार में चार सदस्य हैं। वे यूपी जाने के लिए पिछले कई दिनों से स्टेशन पर मौजूद हैं। यह मजदूर भी लॉकडाउन जैसे कर्फ्यू के चलते पलायन करने के लिए मजबूर है। इन्हें भी कंपनी से वेतन नहीं मिला है। तीन बार ये व्यक्ति भी वेतन मांगने के लिए कंपनी के पास गए। पर उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा। वहीं उन्होंने कहा कि, परिस्थिति सामान्य होने के बाद वे मुम्बई वापस लौटेंगे।

हालांकि, सरकार ने कड़े प्रतिबंधों से प्रभावित होने वाले गरीब परिवार, रिक्शावाले और सड़क पर धंधा करने वाले लोगों के लिए राहत पैकेज की घोषणा की है। जिसके तहत सरकार राज्य के 7 करोड़ लोगों 2 किलो चावल और 3 किलों गेहूं मदद के तौरपर देंगे। राहत पैकेज की घोषणा होने के बावजूद मजदूरों को भूखमरी का डर लगातार सता रहा है।

बता दें कि, कुछ दिन पहले महाराष्ट्र में तेजी से बढ़ते कोरोना वायरस के मामलों की वजह से राज्य सरकार ने लॉकडाउन जैसा कर्फ्यू लगाने का फैसला लिया था। जिसके कारण राज्यभर में नौकरी-धंधे लगभग ठप पड़ चुके है। सरकार के इस निर्णय से सबसे ज्यादा प्रभावित मजदूर वर्ग के लोग हुए हैं। राज्य के ज्यादातर बड़े शहरों से मजदूर पलायन करने के लिए मजबूर हैं।

Report by : Rajesh Soni

Also read : कड़े प्रतिबंध के बावजूद महाराष्ट्र की सड़क और बाजारों में भारी भीड़

Recent Posts

Advertisement

ब्रेकिंग न्यूज़

x